रेलवे की जमीन में अवैध रुप से चल रहा है ईट भट्टा का कारोबार
आरपीएफ व रेलवे अफसर बने हैं अनभिज्ञ
सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (नॉर्थ) ने आरपीएफ को लिखा पत्र
झांसी। रेल सुरक्षा बल की मिलीभगत से रेलवे की जमीन में अवैध रुप से ईट भट्टा का कारोबार चल रहा है। इसकी जानकारी अफसरों को अच्छी तरह से हैं मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। बीते रोज सीनियर रेलवे सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (नॉर्थ) ने आरपीएफ को पत्र लिखा है। इस पत्र पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
पर्यावरण प्रदूषण के चलते जहां जनमानस घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है। वहीं फसलों व फलों का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ईट भट्टे का संचालन अमानत तरीके से कर रहे हैं। उनसे पास सबसे महत्वपूर्ण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है। बताया जा रहा है झांसी रेल मंडल के सोनागिर और दतिया रेलवे सेक्शन के किलोमीटर क्रमांर 1160/15 से 1160/ 11 के बीच ट्रैक किनारे ईट भट्टा का संचालन हो रहा है। बताते है कि कोई भी भट्टा नगर पालिका परिषद अथवा नगर पंचायत क्षेत्र के पांच किलोमीटर के भीतर नहीं स्थापित किया जाएगा, आबादी से कम से कम पांच सौ मीटर दूर, रजिस्टर्ड चिकित्सालय, स्कूल, सार्वजनिक इमारत, धार्मिक स्थानों अथवा किसी एेसे स्थान जहां ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण स्थल के एक किलोमीटर दूरी के भीतर स्थापित नहीं होगा। प्राणी उद्यान, वन्यजीव अभयारण्, एतिहासिक इमारतों, म्यूजियम आदि से पांच किलोमीटर दूरी होनी चाहिए। रेलवे ट्रैक से 200 मीटर व राष्ट्रीय और राज्यमार्ग के दोनों किनारों से तीन सौ मीटर दूरी होना चाहिए। एक ईट भट्टे से दूसरे ईट भट्टे की दूरी 800 मीटर दूरी हो। बताया जाता है कि बफर जोन में ईट भट्टा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन, जिला पंचायत विभाग से एनओसी, पर्यावरण सहमति पत्र व लाइसेंस आवश्यक है। मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरुरी है। लोहे की बजाय सीमेंट की चिमनी होनी चाहिए। पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होनी चाहिए, लेकिन यहां आरपीएफ के संरक्षण में उक्त भट्टे का कारोबार चल रहा है। इस मामले की जानकारी रेलवे अफसरों को अच्छी तरह से है मगर अब तक कार्रवाई नहीं की है। बीते रोज सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (उत्तर) ने आरपीएफ प्रभारी दतिया को एक पत्र भेजा है। पत्र के माध्यम से वहां से ईट भट्टा हटाने की मांग की है मगर पंद्रह दिन गुजरने के बाद भी अब तक ईट भट्टा बंद नहीं हुआ है।
क्या है सामान्य ज्ञान ?
सामान्य ज्ञान विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ज्ञान जो गैर विशेषज्ञ मीडिया की एक श्रृंखला द्वारा आता है समान्य ज्ञान होता है। विभिन्न शब्दकोशों के अनुसार वो “ज्ञान जो सभी के लिए उपलब्ध है” वो सामान्य ज्ञान है।[1][2] सामान्य ज्ञान में इसलिए एक विस्तृत श्रृंखला के ज्ञान विषय शामिल होते हैं। सामान्य ज्ञान न केवल व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का मापदंड होता है, बल्कि यह उसकी तार्किक सोच और विवेकशीलता को भी परिभाषित करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति समाज, संस्कृति और आधुनिक परिवेश के प्रति अपनी समझ को विस्तार देता है। यह ज्ञान, न केवल शिक्षित व्यक्तियों के लिए, अपितु समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए उपयोगी है। एक अध्ययन के अनुसार 18 विभिन्न क्षेत्र सामान्य ज्ञान की परिभाषा को पूर्ण करने के लिए आवश्यक हैं: विज्ञान का इतिहास, राजनीति, खेल, इतिहास, शास्त्रीय संगीत, कला, साहित्य, सामान्य विज्ञान, भूगोल, पाकशास्त्र, चिकित्सा, खोज और अन्वेषण, जीव विज्ञान, फिल्म, फैशन, वित्त और लोकप्रिय संगीत। शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि सामान्य ज्ञान के अन्य क्षेत्र भी मौजूद हो सकते हैं।
किसी भी दशा में अपराधी सजा से बचने ना पाएः जिलाधिकारी
मार्च में 51 अपराधियों को न्यायालय से दिलायी सजा
ज्यादा से ज्यादा अपराधियों को सजा दिलाना सुनिश्चित करें
महिलाओं के विरुद्ध घटित घटनाओं के प्रति गंभीर होकर पैरवी करें शासकीय अधिवक्ता
झांसी। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने विकास भवन सभागार में अभियोजन समिति की बैठक में वादों के निस्तारण के सम्बन्धित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए उपस्थित शासकीय अधिवक्ताओं से एक-एक वाद के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हुए प्रभावी पैरवी कर निस्तारण कराए जाने के निर्देश दिए।
इस दौरान जिलाधिकारी ने जनपद में माह मार्च में 51 अपराधियों को सजा दिलाए जाने पर शासकीय अधिवक्ताओं से कहा कि पैरवी और अधिक संवेदनशील होकर की जाए ताकि अपराधी को अपने द्वारा किए गए अपराध की सजा दिलाई जा सके। उन्होंने कहा पास्को एक्ट व महिला उत्पीड़न के सहित अन्य मुकदमों में प्रभावी ढंग से पैरवी करते हुए दोषियों को सजा दिलाएं।
जिलाधिकारी ने अभियोजन अधिकारियों एवं शासकीय अधिवक्ताओं से कहा कि गैंगस्टर, महिलाओं और बच्चों से संबंधित आपराधिक मामलों का निर्धारित समयावधि के अंतर्गत निस्तारण कराया जाना सुनिश्चित करें, हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए कि हम न्याय समय से दिला सकें। उन्होंने कहा कि शासन के मंशानुरूप महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध अपराधों से संबंधित वादों में शीघ्रता लाते हुए गवाहों को बुलाकर न्यायालय में वादो को तय कराकर अभियुक्त को अधिक से अधिकतम सजा दिलाई जाए। उन्होने कहा कि महिलाओं से संबधित अपराध, हत्या, अपहरण, बलात्कार जैसी घटनाओं का चार्ट अलग बनाया जाए। उन्होंने पास्को एक्ट में पैरोकार की व्यवस्था करने के निर्देश देते हुए कहा कि लक्ष्य निर्धारित करते हुए अधिक से अधिक दोषियों को सजा दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाए जिससे अपराधियों को यह मैसेज जाए कि छोटे से छोटा अपराध करने पर भी वह सजा से बच नहीं सकते।
इस दौरान बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरुण कुमार सिंह, संयुक्त निदेशक अभियोजन देशराज सिंह, विजय सिंह कुशवाहा डीजीसी, मृदुलकांत श्रीवास्तव डीजीसी, संजय पाण्डेय एडीजीसी, नरेंद्र कुमार खरे विशेष लोक अभियोजक पास्को, अतुलेश कुमार सक्सेना एडीजीसी, रवि प्रकाश गोस्वामी एडीजीसी, दीपक तिवारी विशेष लोक अभियोजक एनटीपीसी, अधिवक्ता सहित समस्त जिला शासकीय अधिवक्तागण, सहायक शासकीय अधिवक्ता विशेष लोक अभियोजक, एपीओ आदि उपस्थित रहे।
झाँसी मंडल द्वारा माल परिवहन में नए कीर्तिमान स्थापित
झांसी। रेल परिवहन क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज करते हुए, झाँसी मंडल ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान माल लदान एवं राजस्व अर्जन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यह प्रगति भारतीय रेलवे की दक्षता, नवाचार और समर्पण का जीवंत प्रमाण है।
प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:
ऑरिजिनेटिंग लोडिंग में रिकॉर्ड प्रदर्शन: अप्रैल 2024 में झाँसी मंडल ने 474 वैगनों की लोडिंग कर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया।
एलपीजीयू साइडिंग से कोयले की सर्वाधिक अनलोडिंग : जनवरी 2025 में 196 कोयला रैकों का संचालन कर सर्वकालिक उच्चतम अनलोडिंग का रिकॉर्ड बनाया गया।
मालगाड़ियों का सर्वश्रेष्ठ इंटरचेंज: 15 मार्च 2025 को 204 मालगाड़ियों का इंटरचेंज कर एक दिन में सर्वाधिक इंटरचेंज का रिकॉर्ड स्थापित किया गया।
लॉन्ग हॉल ट्रेनों का ऐतिहासिक संचालन: अप्रैल 2024 में 74 लॉन्ग हॉल ट्रेनों का संचालन कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया।
पीओएल रैक लोडिंग में वृद्धि: वर्ष 2023-24 में 990 रैकों की तुलना में इस वर्ष अब तक 1115 रैकों का लदान कर 2.9 मिलियन टन माल परिवहन हुआ, जिससे 290 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया।
कंटेनर लोडिंग में विस्तार: अब तक केवल आईसीडीएम साइडिंग से कंटेनर लोडिंग होती थी, लेकिन इस वर्ष मालनपुर माल गोदाम से भी लोडिंग शुरू की गई। इसके परिणामस्वरूप 0.22 मिलियन टन कंटेनर लदान से 28.74 करोड़ रुपये की आय हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।
नया व्यापार — सीमेंट लोडिंग: फरवरी 2025 से भरुआसुमेरपुर से सीमेंट का लदान शुरू किया गया, जिससे अब तक 16 रैक लोड कर 2.4 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की गई l
इनका कहना है
मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा ने समस्त रेलकर्मियों को बधाई दी है। डीआरएम ने भविष्य में भी इसी प्रकार के उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रेरित किया है। उनका कहना है कि यह प्रगति न केवल रेलवे की कार्यकुशलता और संसाधनों के समुचित उपयोग को दर्शाती है, बल्कि देश की आर्थिक समृद्धि में रेलवे के योगदान को भी रेखांकित करती है।
झांसी : कौन थे वो लोग : जिन्हे मरने के बाद नहीं मिला अपनों का कंधा
नसीब हुआ तो सिर्फ पुलिस का दिया कफन जिसमें लिपटकर पहुंच गए शमशान और कब्रिस्तान
तीन माह में झांसी में मिले 50 अज्ञात शव , पुलिस खोज रही परिजनों को
स्पेशल रिपोर्टर डेस्क / झांसी। जीते जी अपनों का सहारा मिला हो या न मिला हो, लेकिन मरने के बाद नहीं मिला उनका कंधा। नसीब हुआ तो सिर्फ पुलिस का दिया कफन जिसमें लिपटकर पहुंच गए शमशान और कब्रिस्तान। ये हाल हुआ झांसी में गत तीन माह में दुर्घटना, ट्रेन से कटकर, पानी में डूबने, बीमारी या किसी अन्य कारणों से जान गंवाने वाले चालीस अज्ञात लोगों का। जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी।
न मरने वाले का पता चला न मारने वाले, पुलिस ढूंढ रही पहचान कराने वाले
गुमनाम लाशों को लेकर पुलिस संवेदनहीन बनी हुई है। इस साल के तीन माह के भीतर महिलाओं समेत चालीस अज्ञात शव मिल चुके हैं। इनमें एक महिला की हत्या की पुष्टि हुई है। पुलिस कातिलों को पकड़ना तो दूर शव की पहचान तक नहीं करा सकी। अलबत्ता, जीडी में हर महीने कम से कम एक पर्चा काटकर विवेचक शव की शिनाख्त कराने में खुद के गंभीर होने का कागजी परिचय देता है। अज्ञात शवों को लेकर जिले की पुलिस का संवेदनहीन रवैया सामने आया। जिन शवों की पहचान हो जाती है, उनके घरवालों से तहरीर लेकर पुलिस घटना का खुलासा कर देती है। लेकिन जिन लोगों की पहचान तक नहीं हो पाती उनकी शिनाख्त कराने व कातिल की गिरफ्तारी के लिए सिर्फ कागजी औपचारिकता निभाई जाती है।
इन थानों क्षेत्र में मिली है लाशें
झांसी में 50 अज्ञात शव पड़े मिले हैं। इनमें नवाबाद थाना क्षेत्र में 12, सीपरी बाजार में नौ, जीआरपी थाना क्षेत्र में नौ, प्रेमनगर थाना क्षेत्र में तीन, बड़ागांव, मोंठ, चिरगांव, कोतवाली, सदर बाजार, बरुआसागर, बबीना थाना क्षेत्र में शामिल है। बताते हैं कि सात जनवरी 2025 से अज्ञात शव मिलने की शुरुआत नवाबाद थाना क्षेत्र से हुई थी। यह सिलसिला जारी है। मार्च माह में जीआरपी थाना क्षेत्र में ट्रेन से कटकर अज्ञात युवक की मौत हुई थी। यह घटना 28 मार्च 2025 की है।
अंतिम संस्कार पड़ता है पुलिस की जेब पर भारी
पुलिस का कहना है कि अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करना पुलिस की जेब पर भारी पड़ता है। सरकार की ओर से अज्ञात शवों के क्रियाकर्म के लिए कोई बजट निर्धारित नहीं किया गया है। पुलिसकर्मियों को नगर निगम, परिषद या फिर पालिका के सहयोग व अपनी जेब से खर्च वहन करना पड़ता है। लड़कियों की व्यवस्था तो नगर निगम या परिषद से करवा ली जाती है, लेकिन अन्य खर्च पुलिसकर्मियों को ही उठाना पड़ता है।
अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती पुलिस
पुलिस इन लोगों में से ज्यादातर की मौत का वास्तविक कारण जानने का प्रयास भी नहीं करती। यही कारण है कि पुलिस अमूमन अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती। विसरा रिपोर्ट किसी की मौत का असल कारण जानने के लिए होती है। पुलिस पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर की ओर से बताए गए मौत के प्राथमिक कारण को ही सही मानते हुए मामला दर्ज कर लेती है और फिर बाद में न्यायालय के जरिए अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दे देती है।
एसआर केस में हर महीने देनी होती है रिपोर्ट
पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक, लाश की शिनाख्त हो या नहीं, लेकिन अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आती है तो उसे एसआर केस में दर्ज करना होता है। विवेचक को महीने में कम से कम एक या दो पर्चे काटकर यह बताना होता है कि उसने शिनाख्त कराने या कातिल को पकड़ने की दिशा में क्या कदम उठाया। इसके बाद भी जिले में सारी कार्रवाई कागजी औपचारिकता के बीच सिमटी नजर आ रही है।
यह है शव की पहचान कराने का नियम
अज्ञात शव मिलने के बाद कम से कम दो सौ किलोमीटर के दायरे वाले थाने में पुलिस भेजकर मैनुअल तरीके से पहचान करानी होती है। खासकर दूसरे थानों में अगर मृतक की उम्र व हुलिए वाले व्यक्ति की गुमशुदगी लिखी होती है तो उसके वादी से पहचान कराई जानी चाहिए। डीसीआरबी व एनसीआरबी में भी सूचना अपलोड करनी होती है। सोशल, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिए प्रचार-प्रसार कराना होता है। सूत्रों की मानें तो इसके लिए शासन से बजट भी मिलता लेकिन वह विवेचक को नहीं मिल पाता। जिससे कोई विवेचक ऐसे मामलों के खुलासे में दिलचस्पी नहीं दिखाता।
क्या कहते है अधिकारी
इस मामले में पुलिस अधीक्षक नगर ज्ञानेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि शिनाख्त कराने के लिए सोशल, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया का सहारा लिया जाता है। इसके अलावा डीसीआरबी व अन्य माध्यमों से पहचान कराने का प्रयास किया जाता है। जल्द शिनाख्त कराने के निर्देश दिए गए हैं।
झांसी : पहले कहा बच्चे को डांट देना और डांट दिया तो दर्जन भर टूट पड़े
दुकानदार को जमकर पीटा , शिकायत पुलिस से
झांसी। बच्चे को डांटने पर उसके परिजनों ने दुकानदार के परिवार को जमकर पीट दिया। सुबह परिजनाें ने बच्चे को उधार सामान देने से मना कर दिया। शाम को दुकानदार ने बच्चे को सामान नहीं दिया और डांटकर भगा दिया। बच्चा रोते हुए घर पहुंचा तो परिजन भड़क गए और आकर दुकानदार व् उसके परिवार वालों के साथ जमर मारपीट कर दी मौके पर पहुंची पुलिस ने शांत कराया। दोनों पक्षों ने पुलिस को शिकायती पत्र दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है।
विवरण के मुताविक देवलाल चौबे अखाड़ा मोहल्ला निवासी सुधीर कुशवाहा की मोहल्ले में किराना की दुकान है। रजनी कुशवाहा ने बताया कि एक परिवार की दुकान पर उधारी चलती है। शनिवार सुबह परिजन दुकान पर आए और बोले गए कि बच्चे दुकान पर आए तो कोई चीज उधार मत देना। थोड़ा डांट दिया करो। शाम को बच्चा दुकान पर आया तो ससुर ने बच्चे को डांट दिया। एक छोटा-सा डंडा था, जिसे धीरे से बच्चे को मार दिया। बच्चा रोते हुए घर पहुंच गया। इस पर 5 से 6 लोग आए और गाली गलौच करते हुए मारपीट करने लगे। महिलाए बचाने गई तो मारपीट की। मारपीट का एक वीडिया सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें कुछ लोग मारपीट करते हुए नजर आ रहे हैं। मारपीट की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई और मामला शांत कराया। दोनों पक्षों ने पुलिस को शिकायत दी है। अब पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
झांसी : बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा अध्यक्ष पर मुकदमा दर्ज
प्रधानमंत्री; गृहमंत्री और रक्षामंत्री का फूंका था पुतला
झांसी। बुंदेलखंड को राज्य बनाने की मांग कर रहे बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। उन्होंने बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पुतला जलाया था। उन्होंने इसे सांसदों की मर्जी भी बताया था। साथ ही कहा था कि पीएम ने राज्य निर्माण का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ।
मालुम हो कि बीते बुधवार को बुंदेलखंड राज्य निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की तस्वीर छपा पोस्टर पुतले पर चस्पा कर कचहरी चौराहा पहुंचे थे। यहां उन्होंने तीनों नेताओं का पुतला जलाते हुए बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए नारेबाजी भी की थी। हालांकि इस प्रदर्शन की पुलिस को भनक तक नहीं लगी। वहीं, भानु सहाय ने इस प्रदर्शन को बुंदेलखंड की नौ लोकसभा के सांसदों का अप्रत्यक्ष समर्थन करार दिया था। उनका कहना था कि उन्होंने सांसदों के पुतले दहन कर ये ऐलान किया था कि यदि सांसद प्रधानमंत्री को बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए पत्र नहीं लिखते तो ये माना जाएगा कि वह उनका पुतला दहन करने के पक्ष में हैं। पत्र लिखने के लिए भानु सहाय ने उन्हें 15 दिन का समय भी दिया था। लेकिन सांसदों ने पत्र नहीं लिखा।
हर संसद सत्र में जलाएंगे पुतला
पीएम, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री से पहले भानु सहाय ने बुंदेलखंड के 9 सांसदों का भी पुतला फूंका है। उनका कहना था कि ये सांसद पीएम को उनका वादा याद दिलाने के लिए पत्राचार नहीं कर रहे। पीएम का पुतला फूंकने के दौरान ही भानु सहाय ने एलान कर दिया था कि वह संसद के हर सत्र की शुरूआत में पीएम समेत तीनों नेताओं के पुतले जलाएंगे। इसी के बाद पुलिस ने उन पर मुकदमा दर्ज किया है। इसको लेकर पुलिस का कहना है कि भानु सहाय ने पुतला जलाने के साथ ही सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की है।
राजस्थान की बेहतरीन बॉलिंग ने थमाई पंजाब को पहली हार
50 रन से जीते रॉयल्स, यशस्वी की फिफ्टी; आर्चर को 3 विकेट
लखनऊ डेस्क। राजस्थान रॉयल्स ने बेहतरीन बॉलिंग के दम पर पंजाब किंग्स को पहली हार का स्वाद चखा दिया। मुल्लांपुर के महाराजा यादवेंद्र सिंह स्टेडियम में राजस्थान ने 4 विकेट खोकर 205 रन बनाए। जवाब में पंजाब की टीम 9 विकेट खोकर 155 रन ही बना सकी। 206 रन का टारगेट डिफेंड करने उतरी राजस्थान को पहले ही ओवर में जोफ्रा आर्चर ने 2 विकेट दिला दिए। उन्होंने प्रियांश आर्या को पहली बॉल और कप्तान श्रेयस अय्यर को छठी गेंद पर बोल्ड किया। उनकी बॉलिंग ने पंजाब किंग्स को बैकफुट पर धकेल दिया। आर्चर ने आखिर में अर्शदीप सिंह को भी पवेलियन भेजा।
संदीप शर्मा: पावरप्ले में बॉलिंग करने उतरे संदीप ने पहले ही ओवर में मार्कस स्टोयनिस को पवेलियन भेजा। उन्होंने फिर आखिर में सूर्यांश शेडगे का विकेट भी लिया।
महीश तीक्षणा: मिडिल ओवर्स में मिस्ट्री स्पिनर तीक्षणा ने पंजाब के बैटर्स पर लगाम लगाई। उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल और मार्को यानसन को पवेलियन भी भेजा।
रियान पराग: नंबर-3 पर उतरे पराग ने आखिर तक बैटिंग की और टीम को 200 के पार पहुंचाया। उन्होंने 25 गेंद पर 3 चौके और 3 छक्के लगाकर 43 रन बनाए।
यशस्वी जायसवाल: टॉस हारकर पहले बैटिंग करने उतरी राजस्थान को यशस्वी ने मजबूत शुरुआत दिलाई। उन्होंने सीजन में अपनी पहली फिफ्टी लगाई। वे 3 चौके और 5 छक्के लगाकर 67 रन बनाकर आउट हुए। पंजाब से नेहल वाधेरा ने 62 रन की पारी खेली। उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल के साथ पांचवें विकेट के लिए 88 रन की पार्टनरशिप भी की। जब तक वाधेरा पिच पर थे, पंजाब जीत के करीब नजर आ रही थी। वाधेरा के आउट होते ही टीम बिखर गई और टारगेट हासिल नहीं कर सकी। 206 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी पंजाब ने 43 रन पर शुरुआती 4 विकेट गंवा दिए। टीम मिडिल ओवर्स में संभल ही पाई थी कि 131 से 151 रन बनाने में टीम ने 5 और विकेट गंवा दिए। लगातार विकेट गंवाना ही पंजाब की हार का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। पहले बैटिंग करने उतरी रॉयल्स को यशस्वी और कप्तान संजू सैमसन ने मजबूत शुरुआत दिलाई। दोनों ने मिलकर 89 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप की। सैमसन 38 रन बनाकर आउट हुए। उनके बाद रियान पराग ने 43 और यशस्वी जायसवाल ने 67 रन बनाकर टीम को 205 रन तक पहुंचाया। बड़े टारगेट के सामने पंजाब की शुरुआत बेहद खराब रही। टीम ने पहले ओवर में 2 विकेट गंवा दिए। 43 रन तक पहुंचने में टीम के 2 और विकेट गिर गए। नेहल वाधेरा और ग्लेन मैक्सवेल ने पारी संभालने की कोशिश की, लेकिन दोनों के आउट होते ही टीम रन चेज में बिखर गई। राजस्थान से महीश तीक्षणा और संदीप शर्मा ने 2-2 विकेट लिए।
हमारा उत्तर प्रदेश : क्या आप जानते है ?
अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या सामान्य जानकारी के उद्देश्य से भी आपको पता होना चाहिए की उत्तर प्रदेश में कितने जिले हैं और उत्तर प्रदेश के जिले के नाम क्या हैं। उनकी विशेषता क्या है , उनके प्रशासनिक महत्व, जिलों के विकास कार्य और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
उत्तर प्रदेश का परिचय :-
उत्तर प्रदेश का गठन 26 जनवरी, 1950 को किया गया था। इससे पहले इसे संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था। इतिहास उठाकर देखें, तो पूर्व में इसे कौशल और पांचाल साम्राज्य से जाना जाता था। बाद में यहां शर्की पहुंचे और उन्होंने यहां जौनपुर बसाया। बाद में यहां मुगल पहुंचे, तो उन्होंने जौनपुर के पास अवध सूबा बसाया। ब्रिटिश पहुंचे, तो उन्होंने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया। कुछ समय बाद इसे अवध सूबे में मिला दिया गया और यह संयुक्त प्रांत बना। देश आजाद हुआ और प्रदेश का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश में कुल जिले 75 हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये 18 मंडल कुल चार संभागों में आते हैं, जो कि पश्चीमी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड है। इन चार संभागों में कुल 351 तहसीलों के साथ-साथ 826 सामुदायिक विकास खंड, 200 नगर पालिका परिषद्, 75 नगर पंचायत, 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायत और एक लाख से अधिक गांव मौजूद हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं जिन्हे 18 मुख्यालयों में बांटा गया है। उत्तर प्रदेश के जिले के नाम कुछ इस प्रकार हैं। आगरा , अलीगढ़ , प्रयागराज ,अम्बेडकर नगर ,अमरोहा , औरैया ,आजमगढ़, बदायूं, बहराइच, बलरामपुर, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, हापुड़, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज कौशाम्बी, शीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, महाराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, शाहजहांपुर, शामली, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उन्नाव, वाराणसी है।
राज्य का कुल क्षेत्रफल और जनसंख्या
उत्तर प्रदेश राज्य का क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर (लगभग) है। यह पूरे भारत के क्षेत्रफल का करीब 7.329% है। क्षेत्रफल के मामले में राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। वर्तमान (2025) में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 24.41 करोड़ (अनुमानित) है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को लेकर वर्तमान में जनगणना का सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है। उत्तर प्रदेश के जिले में जनगणना आखरी बार 2011 में की गई थी। उत्तर प्रदेश में अगली जनगणना 2021 में कि जानी थी जो कि 2025 तक के लिए स्थगित कर दि गई है। 2011 के जनगणना डेटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य है। जो की भारत के कुल जनसंख्या का 16.51% (लगभग) है।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी है, जो 7,680 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में सबसे बड़े जिलों में से एक है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, लखीमपुर खीरी अपने कृषि महत्व के लिए प्रसिद्ध है और राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस जिले की जनसंख्या लगभग 3,200,137 है, जो इसके आकार और जनसंख्या दोनों के संदर्भ में इसकी प्रमुखता को दर्शाती है।
उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला
उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो 660 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह राज्य का सबसे छोटा जिला होने का गौरव रखता है। अपने छोटे आकार के बावजूद, हापुड़ की जनसंख्या लगभग 1,338,211 है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, हापुड़ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का एक गतिशील मिश्रण प्रस्तुत करता है।
उत्तर-प्रदेश का राजनीतिक महत्व
लोकसभा में सबसे अधिक सीटें : उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं, जो किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की आवाज बहुत मजबूत है।
प्रमुख राजनीतिक दलों का गढ़ : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का गढ़ रहा है, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ,लोक जनशक्ति पार्टी , लोकदल , जनता दल आदि।
प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्मस्थान : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्म स्थान रहा है, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, और योगी आदित्यनाथ जैसे महान नेता शामिल हैं।
राष्ट्रीय चुनावों में निर्णायक भूमिका : उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम अक्सर राष्ट्रीय चुनावों को प्रभावित करते हैं।
उत्तर प्रदेश का धार्मिक महत्व : उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
हिंदू धर्म का केंद्र : उत्तर प्रदेश को “भगवान राम की भूमि” के रूप में जाना जाता है और यह हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।
प्रमुख तीर्थस्थल : उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं, जिनमें वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा, और काशी शामिल हैं।
विभिन्न धर्मों का संगम : उत्तर प्रदेश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई सहित विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं।
सांस्कृतिक विविधता : उत्तर प्रदेश की संस्कृति और विरासत को पूरे भारत में जाना जाता है, सीखा जाता है और समझा जाता है, जिसमें कला, संगीत, साहित्य, और त्योहार शामिल हैं।
उत्तर-प्रदेश की भाषा, बोली, खानपान और पहनावा कैसा है?
भाषा और बोली:
हिंदी: उत्तर प्रदेश की आधिकारिक भाषा हिंदी है, जो पूरे राज्य में बोली और समझी जाती है।
अन्य भाषाएं : अवधी, ब्रजभाषा, बुंदेली, खड़ी बोली, और उर्दू भी यहाँ बोली जाती हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश : पूर्वी उत्तर प्रदेश में अवधी, भोजपुरी, और बाग़ेली बोली जाती हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्रजभाषा, हरियाणवी, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।
केंद्रीय उत्तर प्रदेश : केंद्रीय उत्तर प्रदेश में अवधी, बुंदेली, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।
खानपान :
विविधता : उत्तर प्रदेश में खानपान में विविधता देखने को मिलती है।
लोकप्रिय व्यंजन: कबाब, बिरयानी, चाट, समोसे, पराठे, दाल-बाटी-चूरमा, लस्सी, रबड़ी, और पेठा यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजन हैं।
क्षेत्रीय भिन्नता : पूर्वी उत्तर प्रदेश में चावल और मछली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं और दाल, और केंद्रीय उत्तर प्रदेश में मिश्रित खानपान का प्रचलन है।
पहनावा :
पुरुष : पुरुषों के लिए, धोती-कुर्ता, लूंगी, शेरवानी, और पगड़ी यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।
महिलाएं : महिलाओं के लिए, साड़ी, सलवार-कमीज, लहंगा-चोली, और घाघरा-चोली यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।
धार्मिक परिधान : कुछ लोग धार्मिक पहनावा भी पहनते हैं, जैसे कि मुस्लिमों द्वारा पहना जाने वाला बुर्का या हिंदुओं द्वारा पहना जाने वाला कुर्ता-पायजामा।
भौगोलिक आधार पर उत्तर-प्रदेश
उत्तर प्रदेश का भूगोल 4 भागों में बटा हुआ हैं जिसे पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड से जाना जाता है। हर भाग की अपनी एक विशेषता है, इसे विस्तार से समझते हैं :
उत्तर-प्रदेश के पूर्वांचल की विशेषता
शिक्षा : यहाँ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थान हैं।
पर्यटन : वाराणसी, सारनाथ और कुशीनगर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल यहाँ हैं, जो उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
संस्कृति : पूर्वांचल की संस्कृति विविध और समृद्ध है, यहाँ लोग होली, दिवाली और छठ जैसे त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं।
भाषा : भोजपुरी, अवधी और हिंदी प्रमुख भाषाएँ हैं।
उत्तर-प्रदेश के पश्चिमांचल की विशेषता
क्षेत्र : पहाड़ी क्षेत्रों (हिमालय), पठारों (आगरा का पठार), और मैदानी भागों (दिल्ली का मैदान) का मिश्रण।
नदियां : यमुना, चंबल, केन जैसी प्रमुख नदियां।
मिट्टी : बलुई, चिकनी मिट्टी, और लाल मिट्टी।
जलवायु : गर्मियों में गर्म और शुष्क, सर्दियों में ठंडी।
कई विश्वविद्यालय और संस्थान : IIT Kanpur, IIT Roorkee, AMU Aligarh, BHU Varanasi, Lucknow University प्रसिद्ध हैं।
कृषि : गेहूं, चना, मूंगफली, तिलहन, बागवानी, और डेयरी मुख्य गतिविधियां हैं।
उद्योग : लौह और इस्पात, भारी इंजीनियरिंग, रसायन, खनन, और खनिजों का उत्पादन प्रमुख उद्योग हैं।
पर्यटन : ताजमहल, आगरा का किला, मथुरा, वृंदावन, और फतेहपुर सीकरी जैसे पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश का इतिहास और उत्तर प्रदेश की संस्कृति का प्रतीक हैं।
भाषा : ब्रजभाषा, अवधी, और बुंदेली भाषाओं का प्रभाव।
मध्यांचल और बुंदेलखंड की विशेषता
क्षेत्र : समतल मैदान, जलोढ़ मिट्टी, और घनी आबादी।
प्रमुख नदियां : गंगा, यमुना और घाघरा।
कृषि : धान, गेहूं, मक्का, और दलहन जैसी फसलों की खेती तथा गन्ना, आलू, और मशरूम जैसी नकदी फसलों का उत्पादन।
उद्योग : कपड़ा, चीनी, और कृषि-आधारित उद्योगों का केंद्र।
बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित एक पठारी क्षेत्र है, इसकी विशेषताएं हैं:
क्षेत्र : पहाड़ी और पठारी क्षेत्र।
प्रमुख नदियां : केन, बेतवा, चंबल।
कृषि : बाजरा, ज्वार, और मूंगफली जैसी फसलों की खेती।
उद्योग : खनन और खनिजों का उत्पादन।
भाषा : बुंदेली भाषा और संस्कृति का प्रभाव।
प्रमुख जिले और उनकी विशेषताएं
लखनऊ: राज्य की राजधानी
नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रुमी दरवाजा जैसे ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अवधी व्यंजन जैसे कबाब, बिरयानी, गुलाब जामुन यहाँ के खानपान की शान हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा संस्थान इसे ज्ञान का केंद्र बनाते है। छठ पूजा, ईद, होली जैसे त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं।
वाराणसी: धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर
उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक वाराणसी, हिंदू धर्म के लोग वाराणसी को काफी महत्वपूर्ण मानते है, गंगा नदी के किनारे बसा शहर यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर सहित प्राचीन मंदिरों और घाटों का समागम है।
आगरा: ताजमहल की नगरी
उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक आगरा, उत्तर प्रदेश में स्थित एक खूबसूरत शहर है। यह दुनिया भर में विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा अपनी मुगल वास्तुकला, हस्तशिल्प, और मुगलई खाने के लिए भी प्रसिद्ध है।
अन्य प्रमुख जिले: कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, गोरखपुर
कानपुर: औद्योगिक शहर, चमड़े और कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध।
मेरठ: ऐतिहासिक शहर, 1857 के विद्रोह का केंद्र।
इलाहाबाद: तीर्थस्थल, गंगा, यमुना, और सरस्वती नदी का संगम।
गोरखपुर: धार्मिक शहर, गोरखनाथ मठ का घर।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
यूपी के 75 जिले के नाम क्या है?
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के नाम इस प्रकार हैं: आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, अमेठी, औरैया, आजमगढ़, बागपत, बहराइच, बाराबंकी, बलिया, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, अमरोहा, कासगंज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हापुड़, हमीरपुर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, कुशीनगर, कौशांबी, महोबा, मैनपुरी, महाराजगंज, मथुरा, मऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रामपुर, रायबरेली, सहारनपुर, संभल, संत रविदास नगर, संत कबीर नगर, शाहजहांपुर, शामली, सीतापुर, श्रावस्ती, सोनभद्र, उन्नाव, वाराणसी, सुल्तानपुर, बांदा, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, और बलरामपुर है।
UP में कौन सी जाति ज्यादा है?
उत्तर प्रदेश (UP) में सबसे बड़ी जाति यादव जाति मानी जाती है, जो राज्य की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक शक्ति है। इसके अलावा, राज्य में कई अन्य प्रमुख जातियाँ भी हैं, जिनमें जाटव, ब्राह्मण, राजपूत, , गुर्जर, दक्षिणी पिछड़ी जातियाँ (जैसे कुर्मी, कश्यप,) और नोनिया (अल्पसंख्यक) शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की जाति संरचना बहुत विविध है और इसमें कई सामाजिक और सांस्कृतिक समूह शामिल हैं, जो राज्य की राजनीति, सामाजिक समीकरण और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर डालते हैं।
बिहार की 2021 बैच की IAS निशा को मिला UP कैडर
लखनऊ। केंद्र सरकार ने मैरिज ग्राउंड पर बिहार कैडर की 2021 बैच की IAS निशा सिंह को उत्तर प्रदेश कैडर एलाट किया है। IAS निशा सिंह के पति हिमांशु बाबल उत्तर प्रदेश में IFS अफसर है। UP की ब्यूरोक्रेसी में 6 महीने के अंदर आधा दर्जन IAS महिलाएं शादी कर उत्तर प्रदेश आई हैं।