बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी : बढ़ती ही जा रही है कैम्पस में छात्रों की गुण्डा गर्दी

छात्रों में जमकर चले लाठी – डंडे , वीडियो हुआ वायरल

विश्वविद्यालय प्रशासन की कमान है ढीली , सुरक्षा गार्डों की शह होती है गुण्डई

विश्वविद्यालय के सुरक्षा गार्डों को नहीं पता कोई नियम क़ानून

झाँसी। बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के कैंपस में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब छात्रों के दो गुट आपस में भिड़ गए। देखते ही देखते मामूली कहासुनी ने हिंसक रूप ले लिया और दोनों ओर से लात-घूंसे और डंडे चलने लगे। कैंपस के बीचोंबीच हुई इस झड़प का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें छात्रों की हिंसा साफ तौर पर देखी जा सकती है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, विवाद की वजह यूनिवर्सिटी में दबदबा कायम करने को लेकर पुरानी रंजिश बताई जा रही है। दोनों गुटों के बीच पहले बहस हुई और फिर मामला मारपीट तक पहुँच गया। इस झगड़े से वहां मौजूद अन्य छात्र-छात्राएं सहम गए और इधर-उधर भागने लगे। हालात बिगड़ते देख यूनिवर्सिटी प्रशासन और सुरक्षा कर्मी मौके पर पहुंचे और किसी तरह छात्रों को शांत कराया। हालांकि, घटना के वक्त परिसर में पुलिस की मौजूदगी नहीं थी। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आ गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वायरल वीडियो की जांच की जा रही है और दोषियों की पहचान कर उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रत्यादर्शियो के मुताविक छात्रों की ताकत इतनी देखि जा रही थी कि उपद्रवी छात्र सुरक्षा गार्डों को धक्का देकर आवासीय कैम्पस में तक घुस गए थे।

छात्रों में दहशत का माहौल

घटना के बाद यूनिवर्सिटी के अन्य छात्रों में डर का माहौल है। कई छात्र-छात्राओं ने इसे सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक बताया है। उनका कहना है कि कैंपस में इस तरह की घटनाएं छात्र हित और शिक्षा के माहौल के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। पुलिस ने वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों के बीच झगड़े की घटनाएं सामने आती रही हैं। इस ताज़ा मामले ने एक बार फिर यूनिवर्सिटी प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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झांसी : मांग रहा था गुण्डा टैक्स , पुलिस ने पकड़ा तो चलायी गोली हुआ लंगड़ा , मुठभेड़ में गिरफ्तार

व्यापारी से मांग रहा था पंद्रह लाख की रंगदारी
बालेन्द्र गुप्ता / झांसी। चिरगांव में एक व्यापारी से पंद्रह लाख रुपए की रंगदारी मांगने के आरोप में फरार चल रहे शातिर अपराधी की दिनदहाड़े स्वाट टीम से मुठभेड़ हो गई। जिसमें बदमाश के एक पैर में गोली लगने से वह घायल हो गया। पुलिस टीम ने उसके कब्जे से एक तमंचा कारतूस सहित बिना नंबर की बाइक अपाचे बरामद कर ली। इधर मुठभेड़ की सूचना मिलते ही पुलिस अफसर घटना स्थल की ओर रवाना हो गए।
विवरण के मुताबिक चिरगांव थाना क्षेत्र के डेरा निवासी शातिर अपराधी धीरेंद्र राजपूत पर दर्जनों अपराधिक मामले दर्ज है। उस पर अभी हाल ही में चिरगांव में एक सराफा व्यापारी से पंद्रह लाख की रंगदारी न देने पर हत्या करने के आरोप में मुकदमा दर्ज है। इधर व्यापारी से रंगदारी मांगने का मामला एसएसपी के संज्ञान में आया तो उन्होंने स्वाट ओर संबंधित थाना पुलिस को अपराधी के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने ओर गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। आज दोपहर एसएसपी के निर्देशन पर स्वाट टीम ओर मोठ थाना पुलिस अपराधी की धर पकड़ में लगी थी तभी मोठ के जंगलों में फरार चल रहे अपराधी वीरेंद्र राजपूत से पुलिस टीम का आमना सामना हो गया। अपराधी ने पुलिस को देख तमंचे से फायर झोंक दिया और भागने लगा। पुलिस ने उसका पीछा करते हुए जबाव में फायरिंग की तो उसके पैर में गोली जा लगी और वह घायल हो गया। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया। वही उसके कब्जे से एक तमंचा कारतूस सहित बिना नंबर की अपाचे बाइक बरामद कर ली है। पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है।

 

झाँसी : फिर सजने लगी मेडिकल तिराहे पर अवैध बालू की मण्डी , शहर में वाहनों की एन्ट्री है नो एन्ट्री किसी को पता नहीं

हाइवे पर ईट से भरे ट्रक और सर्विस रोड पर बालू से भरे डम्फरों का कब्जा

ट्रैफिक पुलिस चौराहे पर पुरे दिन देखती है तमाशा

बालू के डम्फरों में नम्बर प्लेट न होने बावजूद भी नहीं करते चालान

बालेन्द्र गुप्ता / झाँसी। शहर के बगल में मेडिकल तिराहे के पास हाईवे पर सुबह-सुबह ईट-बालू की अवैध मंडी सजती है। ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की कतारें हाईवे की एक साइड को कब्जे में कर लेती हैं। लिंक रोड से तो लोग गुजरना ही भूल गये हैं क्योकि लिंक रोड पर बालू से भरे डम्फर खड़े हो जाते है। आश्चर्य ये है कि इस अवैध मंडी पर जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों की नजर या तो पड़ती नहीं, या फिर नजरें फेर ली जाती हैं।
मालुम हो कि अगर आप नेशनल हाईवे पर कानपुर से ग्वालियर या शिवपुरी जा रहे है और जो लोग मेडिकल से पैरामेडिकल जा रहे है तो कम से कम तीन स्थानों पर तो सावधानी बरतनी ही पड़ेगी। क्योकि मेडिकल तिराहे पर और पैरामेडिकल लिंक रोड तथा हाइवे की दूसरी तरफ वाहन ऐसे खड़े रहते है कि दुर्घटनाएं होती ही रहती है ।
यहां पर जनपद के सभी बालू घाटों से बालू के डम्फर आते है और कानपुर देहात व कानपुर से ईट से भरे ट्रक रात बारह बजे के बाद लिंक रोड और हाईवे पर ट्रक खड़े हो जाते हैं, जबकि दूसरी दिशा में लिंक रोड पर बालू से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का कब्जा रहता है। सुबह पांच बजे से इनकी बोली शुरू हो जाती है, जो करीब नौ बजे तक लगती है।

धड़ल्ले से चल रहा अवैध गिट्टी और बालू का कारोबार
शहर में खुलेआम सड़क पर अवैध बालू व गिट्टी का कारोबार किया जा रहा है, इसके कारण सड़कों पर जाम लगा रहता है। लेकिन प्रशासन इसको अनदेखा कर रहा है। कुछ लोग बिना पंजीयन कराए ही अवैध बालू और खनन के कारोबार को खुलेआम संचालित कर रहे हैं। इससे खनिज के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
इससे आम लोगों केे धूल खाकर परेशान होना पड़ रहा है। विभाग को राजस्व की हानि हो रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इसे अनदेखा कर रहे हैं। आलम यह है कि शहर में दर्जनों लोग अवैध बालू और गिट्टी का कारोबार खुलेआम कर रहे हैं। यह कारोबार शहर में सड़क किनारे व विभिन्न मोहल्लों में दीवारों की आड़ में चल रहा है। कई स्थानों पर सड़क किनारे संचालित होने से यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है। सड़क किनारे टाल खुलने से बालू और गिट्टी ट्रैक्टर में लोड होने से यह ट्रैक्टर सड़क पर खड़े हो रहे हैं, जिससे वाहनों को ओवरटेक करने में परेशानी हो रही है। वहीं, मोहल्लों में बालू और गिट्टी लोडिंग और अनलोडिंग होने से धूल उड़ती है, जो मकानों में जाती है। इससे बीमारी होने का खतरा बना रहता है। विभिन्न मोहल्लों में बालू और गिट्टी से लदे भारी वाहनों के प्रवेश से आवाजाही में लोगों को परेशानी हो रही है। इन कारोबारियों के पास यह कारोबार करने का कोई रजिस्टेशन नहीं है।

शहर में वाहनों की एन्ट्री है नो एन्ट्री किसी को पता नहीं
शहर में नो इंट्री का कोई इंतजाम नहीं है। ट्रैफिक पुलिस को बाय-बाय बोलते हुए बड़े वाहन धड़ल्ले से प्रवेश कर रहे हैं। इससे शहर में रोज जाम लग रहा है। जाम इस कदर कि बसस्टैंड राहगीरों को इतनी समस्या होती है राहगीर वहां से आधा घंटा से अधिक समय में निकल पाते है। रोडवेज के अलावा प्राइवेट बसें, ट्रक, ट्राला आदि बड़े वाहनों की आवाजाही दिन भर चलती है। हालांकि यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी लगती है, पर वाहनों की आवाजाही पुलिसकर्मियों के आंखों के सामने से होती रहती है। शहर में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर चालक वाहनों को रोककर सवारियां भरते नजर आते हैं। चालक जहां चाहते हैं, वही स्थल स्टैंड बन जाता है।

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