झांसी : स्टेशन के बाहर सवारी माफियाओं की दहशतगर्दी
दबंग उठा ले जाते हैं स्टेशन से सवारियां, पुलिस का रेट है फिक्स
झांसी स्मार्ट सिटी में चल रहे जगह – जगह अवैध बस अड्डे
मरीजों की दलाली के बाद अब सवारियों की दलाली शुरू
बालेन्द्र गुप्ता / झांसी। शासन की सख्ती के बावजूद झांसी स्मार्ट सिटी में अवैध बस अड्डों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है। आधा दर्जन से अधिक अवैध बस अड्डों से लग्जरी बसों से रोडवेज को चपत लगा रहे हैं। हालत यह है कि ट्रेवर्ल्स एजेंसी के गुर्गे रेलवे स्टेशनों से सवारियां उठा ले जा रहे हैं। बावजूद इसके कार्रवाई की बजाय अफसर खामोश है। शहर में रोडवेज के समानांतर अवैध बस स्टैंड सड़कों की पटरियों को कब्जा कर चलाए जा रहे हैं। निजी बस संचालकों को किसी का डर नहीं है। इसके बावजूद परिवहन निगम के समानांतर डग्गामार वाहन बस स्टेशन से कुछ दूरी पर ही चल रहे हैं। इन पर पाबंदी लगाने में जिम्मेदार अफसर नाकाम है। महानगर में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर प्राइवेट बस अड्डे सड़क पर संचालित हो रहे हैं। इसकी वजह से परिवहन विभाग को रोजाना लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
परिवहन विभाग है संरक्षण
इन दबंग बस अड्डा संचालकों को संभागीय परिवहन कार्यालय के अफसरों के साथ ही पुलिस का भी संरक्षण मिल रहा है। एेसा सवारियां ढोने वाली बसों व कारों की सूची तैयार की है। निजी वाहन संचालक बस स्टैंड के बाहर से यात्रियों को जबरन अवैध बस स्टैंड पर पर लेकर चले जाते हैं। कई बार झड़प एवं धक्का- मुक्की हो चुकी है। इसकी वजह से कभी भी बड़ी घटना घट सकती है। उधर, डग्गामार बसों के संचालकों के अनुसार, बसों के संचालन में वसूली का रेट भी तय है। महीने का पांच हजार रुपये प्रति बस अलग- अलग विभाग वसूलते हैं। वसूली की रकम बढ़ने से अब नुकसान होने लगा है। पूंजी के हिसाब से आमदनी नहीं हो पा रही है, इसलिए कई बस संचालकों ने अपनी बसें बेच दीं।
रेलवे बेतवा क्लब सवारी तस्करों का नया अड्डा
नवाबाद थाना क्षेत्र के सिविल लाइंस क्षेत्र में रेलवे का बेतवा क्लब है। यह क्लब अशोक होटल तिराहा से रेलवे स्टेशन की ओर जाने वाले रास्ते में है। यहां पर प्रतिदिन दस से अधिक निजी बसों का संचालन होता है। यहां प्राइवेट बसों को खड़ा कर खुलेआम सवारियां भरी जा रही हैं। यहां से कानपुर, उन्नाव, लखनऊ औऱ गोरखपुर आदि स्थानों के लिए बसों का संचालन होता है। नाम न छापने की शर्त पर एक बस संचालक ने बताया कि वह कंपनी से लेकर बस को दूसरे स्थान पर ले जाते हैं। जैसे ही वह रक्सा टोलप्लाजा के पास पहुंचे है तो कुछ गुंडे जबरन बस में बैठ जाते हैं। इसके बाद उन्हें रेलवे स्टेशन से अशोक होटल तिराहा की ओर जाने वाले रास्ते किनारे खड़ी कर देते हैं। इनमें सबसे ज्यादा गोरखपुर की सवारियों को बैठाया जाता है। इसके अलावा स्थानीय पुलिस को भी हर माह हजारों में तय शुल्क देना होता है। देररात गोरखपुर के लिए लग्जरी सें सवारियां भरती हैं। वहीं, लोगों का कहना है कि इस बस अड्डे पर बैठे लोग सवारियों को दूसरे कमरे में ले जाकर बेरहमी से पिटाई करते हैं। रेलवे स्टेशन से सवारियों को लाने के लिए ऑटो चालकों को सेंट कर रखा है।
अशोक होटल तिराहे पर प्राइवेट बसों का कब्जा
यहां से कोटा, लखनऊ, जयपुर, दिल्ली, गोरखपुर, प्रयागराज के लिए बसों का संचालन होता है। यहां मौजूद स्टॉफ ने बताया कि रेलवे स्टेशन से सवारियों को लाकर यहां से बसों में सवार किया जाता है। मनमाफिक पैसा भी वसूल किया जाता है। वहीं, एक सवारी ने बताया कि जब वह रेलवे स्टेशन से मोटर स्टैंड के लिए सवार हुए तो ऑटो चालक ने उन्हें ट्रेवर्ल्स एजेंसी पर उतार दिया। मना करने पर उसकी पिटाई की। रात दो बजे के बाद उसे बस में सवार होकर गोरखपुर के लिए रवाना किया गया।
ननि गेट के पास सवारियों का लगता है बाजार
रात दस बजे के लगभग ननि के गेट के पास बसों को रोका जाता है। यहां से सवारियों को दिल्ली, जयपुर के लिए सवार किया जाता है। बस चालक ने बताया कि यातायात पुलिस को प्रतिदिन पैसा देना पड़ता है। इसके बावजूद थाने में पुलिस को, स्टैंड एवं अऩ्य के लिए पैसे देना पड़ता है।
बसों में क्षमता से अधिक भरी जाती है सवारियां
अशोक होटल तिराहा में रात में प्राइवेट बसें सवारियां भरती हैं। यहां दुकानदार ने बताया कि बसों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाकर बस चालक ले जाते हैं। देररात में भी लंबी दूरी की बसें जाती हैं। परिवहन विभाग और पुलिस के संरक्षण में ही बस संचालक शहर में सड़क पर ही प्राइवेट बसें खड़ी कर सवारियां भरते हैं।
लगैज की जगह ट्रांसपोर्ट का कर रही काम
गोरखपुर, कोटा, जयपुर, इंदौर के साथ अन्य शहरों में झांसी से यात्री बसें यात्रियों को लेकर जाती हैं। उन्हीं बसों में नीचे यात्री औऱ छतों पर लाइन लगाकर ट्रांसपोर्ट के माल को ढोंया जाता है। जब तक बस निश्चित स्थान पर नहीं पहुंच जाती, तब तक यात्रियों की धड़कने धड़कती रहती है। मुनाफा पाने के चक्कर में यह नजारा रात से सुबह तक देखने को मिल रहा है।