झाँसी मंडल द्वारा माल परिवहन में नए कीर्तिमान स्थापित

झांसी। रेल परिवहन क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज करते हुए, झाँसी मंडल ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान माल लदान एवं राजस्व अर्जन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यह प्रगति भारतीय रेलवे की दक्षता, नवाचार और समर्पण का जीवंत प्रमाण है।

प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:
ऑरिजिनेटिंग लोडिंग में रिकॉर्ड प्रदर्शन: अप्रैल 2024 में झाँसी मंडल ने 474 वैगनों की लोडिंग कर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया।
एलपीजीयू साइडिंग से कोयले की सर्वाधिक अनलोडिंग : जनवरी 2025 में 196 कोयला रैकों का संचालन कर सर्वकालिक उच्चतम अनलोडिंग का रिकॉर्ड बनाया गया।
मालगाड़ियों का सर्वश्रेष्ठ इंटरचेंज: 15 मार्च 2025 को 204 मालगाड़ियों का इंटरचेंज कर एक दिन में सर्वाधिक इंटरचेंज का रिकॉर्ड स्थापित किया गया।
लॉन्ग हॉल ट्रेनों का ऐतिहासिक संचालन: अप्रैल 2024 में 74 लॉन्ग हॉल ट्रेनों का संचालन कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया।

पीओएल रैक लोडिंग में वृद्धि: वर्ष 2023-24 में 990 रैकों की तुलना में इस वर्ष अब तक 1115 रैकों का लदान कर 2.9 मिलियन टन माल परिवहन हुआ, जिससे 290 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया।
कंटेनर लोडिंग में विस्तार: अब तक केवल आईसीडीएम साइडिंग से कंटेनर लोडिंग होती थी, लेकिन इस वर्ष मालनपुर माल गोदाम से भी लोडिंग शुरू की गई। इसके परिणामस्वरूप 0.22 मिलियन टन कंटेनर लदान से 28.74 करोड़ रुपये की आय हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।
नया व्यापार — सीमेंट लोडिंग: फरवरी 2025 से भरुआसुमेरपुर से सीमेंट का लदान शुरू किया गया, जिससे अब तक 16 रैक लोड कर 2.4 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की गई l

इनका कहना है
मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा ने समस्त रेलकर्मियों को बधाई दी है। डीआरएम ने भविष्य में भी इसी प्रकार के उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रेरित किया है। उनका कहना है कि यह प्रगति न केवल रेलवे की कार्यकुशलता और संसाधनों के समुचित उपयोग को दर्शाती है, बल्कि देश की आर्थिक समृद्धि में रेलवे के योगदान को भी रेखांकित करती है।

Related Posts

यहां प्रत्येक महिला में बहादुरी एवं त्याग की स्पष्ट छवि दिखाई देतीः डॉ रश्मि सिंह

नारी शक्ति समस्त मानव समाज की शक्तिः पूनम शर्मा
‘‘आकाँक्षा उत्सव-2025’’ रायफल क्लब, झांसी में सम्पन्न
झांसी। आकाँक्षा समिति की अध्यक्षा डॉ. रश्मि सिंह (आईएएस) ने कहा कि झांसी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के शौर्य एवं बलिदान की भूमि है। यहां प्रत्येक महिला में बहादुरी एवं त्याग की स्पष्ट छवि दिखाई देती है। उन्होने कहा कि शासकीय सेवा में कार्यरत महिलायें चुनौतियों का सामना करते हुये अपने परिवार एवं प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करती हैं। यह बात उन्होंने रायफल क्लब में आयोजित आकांक्षा उत्सव -2025 का शुभारंभ करते हुए कही हैं।
उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए महिलायें आवश्यक साहस एवं धैर्य का अनुपालन भी करती है। सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं से आकाँक्षा सखियों, समूह की महिलाओं एवं घरेलु कार्यो सहित विभिन्न विधाओं में संलग्न महिलाओं को जोड़ने के लिए यहां के प्रशासनिक अधिकारी अभिनन्दन के पात्र हैं। वहीं, फिक्की महिला संगठन की अध्यक्षा श्रीमती पूनम शर्मा ने कहा कि नारी शक्ति समस्त मानव समाज की शक्ति है। महिलाओं का सामाजिक सशक्तिकरण उनके आर्थिक विकास पर निर्भर करता है, इसलिए महिलाओं के विकास हेतु उनका आर्थिक रुप से सुदृढ़ होना अतिआवश्यक हैं। उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी महिलायें आकाँक्षा समिति से जुड़कर अपने जीवन में अद्वितीय कार्य करें।

महिलायें घर की नींव होती हैः रचना विमल दुबे
अध्यक्षा आकाँक्षा समिति, झांसी मण्डल प्रो. (डॉ.) रचना बिमल दुबे ने कहा कि महिलायें घर की नींव होती हैं, यदि नींव मजबूत होगी तो घर का बुर्ज भी उतनी ही शिखर पर दृश्यमान होगा। उन्होने कहा कि कोरोना महामारी ने हमारे भीतर एक अदृश्य भय को व्याप्त कर दिया था।

एमओयू हस्ताक्षरित किए गए
सर्किट हाउस में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के मध्य सहयोग प्रतिबद्धता ज्ञापन कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय, डॉ. रश्मि सिंह (आईएएस) अध्यक्षा आकाँक्षा समिति उप्र. एवं अध्यक्षा आकाँक्षा समिति, झांसी मण्डल प्रो. (डॉ.) रचना बिमल दुबे की उपस्थिति में एमओयू हस्ताक्षरित किये गये है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में शैक्षिक एवं औद्योगिक क्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण से सम्बधित समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षरित किए गए है, यह हमारे लिए अत्यधिक सौहार्द की बात है। इस अवसर पर जिलाधिकारी मृदुल चौधरी, एसएसपी बीबीजीटीएस मूर्ति, सीडीओ जुनैद अहमद सहित आकाँक्षा समिति के सदस्यगण उपस्थित रहे।

आकाँक्षा बिक्री केन्द्र’’ का लोकार्पण किया
मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों द्वारा मण्डल स्तर पर स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित हस्तशिल्प उत्पादों के बिक्री हेतु ‘‘आकाँक्षा बिक्री केन्द्र’’ का लोकार्पण किया, जिससे पार्क में आने वाले लोगों को वर्षभर हस्तशिल्प उत्पादों की बिक्री का लाभ प्राप्त हो सके। इसके साथ ही अतिथियों द्वारा कलैक्ट्रेट परिसर में आगुंतकों के खानपान हेतु सःशुल्क प्रेरणा कैफे का शुभारम्भ भी किया गया, इस कैफे का संचालन आजाद स्वयं सहायता समूह रक्सा, विकास खण्ड बबीना श्रीमती रानी देवी द्वारा समूह की 10 महिलाओं के सहयोग से पूर्ण किया जायेगा। इस दौरान जनरल विपिन रावत पार्क में मण्डलायुक्त बिमल कुमार दुबे, नगर आयुक्त सत्यप्रकाश, अपर नगर आयुक्त मो. कमर सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

यह अफसर रहे मौजूद
इस अवसर पर सचिव आकाँक्षा समिति/झांसी विकास प्राधिकरण उपमा पाण्डेय, श्रीमती प्रतिभा सिंह, सचिव आकाँक्षा समिति (उ0प्र0), डॉ. प्रीति चौधरी उपाध्यक्षा, आकाँक्षा समिति (उ0प्र0) एवं श्रीमती ऊषा सिंह, संयुक्त सचिव, आकाँक्षा समिति (उ0प्र0), महासचिव आकाँक्षा समिति झांसी श्रीमती प्रियंका सिंह, धर्मपत्नी डीआईजी, एसएसपी, नगर आयुक्त, सीएमओ, एडीएम ललितपुर, उपजिलाधिकारी स्वेता साहू, जिला पूर्ति अधिकारी सौम्या अग्रवाल, उपायुक्त स्वतः रोजगार बृजमोहन अम्बेड सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी तथा मातृशक्ति उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ समाज सेविका/ शिक्षाविद्/ कोषाध्यक्ष आकाँक्षा समिति झांसी डॉ. नीति शास्त्री द्वारा किया गया।

हमारा उत्तर प्रदेश : क्या आप जानते है ?

अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या सामान्य जानकारी के उद्देश्य से भी आपको पता होना चाहिए की उत्तर प्रदेश में कितने जिले हैं और उत्तर प्रदेश के जिले के नाम क्या हैं। उनकी विशेषता क्या है , उनके प्रशासनिक महत्व, जिलों के विकास कार्य और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।

उत्तर प्रदेश का परिचय :-

उत्तर प्रदेश का गठन 26 जनवरी, 1950 को किया गया था। इससे पहले इसे संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था। इतिहास उठाकर देखें, तो पूर्व में इसे कौशल और पांचाल साम्राज्य से जाना जाता था। बाद में यहां शर्की पहुंचे और उन्होंने यहां जौनपुर बसाया। बाद में यहां मुगल पहुंचे, तो उन्होंने जौनपुर के पास अवध सूबा बसाया। ब्रिटिश पहुंचे, तो उन्होंने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया। कुछ समय बाद इसे अवध सूबे में मिला दिया गया और यह संयुक्त प्रांत बना। देश आजाद हुआ और प्रदेश का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश में कुल जिले 75 हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये 18 मंडल कुल चार संभागों में आते हैं, जो कि पश्चीमी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड है। इन चार संभागों में कुल 351 तहसीलों के साथ-साथ 826 सामुदायिक विकास खंड, 200 नगर पालिका परिषद्, 75 नगर पंचायत, 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायत और एक लाख से अधिक गांव मौजूद हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं जिन्हे 18 मुख्यालयों में बांटा गया है। उत्तर प्रदेश के जिले के नाम कुछ इस प्रकार हैं।  आगरा  , अलीगढ़ ,  प्रयागराज ,अम्बेडकर नगर ,अमरोहा , औरैया ,आजमगढ़, बदायूं, बहराइच, बलरामपुर, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, हापुड़, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज कौशाम्बी,        शीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर,               लखनऊ, महाराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, शाहजहांपुर, शामली, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उन्नाव, वाराणसी है।

राज्य का कुल क्षेत्रफल और जनसंख्या

उत्तर प्रदेश राज्य का क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर (लगभग) है। यह पूरे भारत के क्षेत्रफल का करीब 7.329% है। क्षेत्रफल के मामले में राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। वर्तमान (2025) में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 24.41 करोड़ (अनुमानित) है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को लेकर वर्तमान में जनगणना का सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है। उत्तर प्रदेश के जिले में जनगणना आखरी बार 2011 में की गई थी। उत्तर प्रदेश में अगली जनगणना 2021 में कि जानी थी जो कि 2025 तक के लिए स्थगित कर दि गई है। 2011 के जनगणना डेटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य है। जो की भारत के कुल जनसंख्या का 16.51% (लगभग) है।

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी है, जो 7,680 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में सबसे बड़े जिलों में से एक है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, लखीमपुर खीरी अपने कृषि महत्व के लिए प्रसिद्ध है और राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस जिले की जनसंख्या लगभग 3,200,137 है, जो इसके आकार और जनसंख्या दोनों के संदर्भ में इसकी प्रमुखता को दर्शाती है।

उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला

उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो 660 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह राज्य का सबसे छोटा जिला होने का गौरव रखता है। अपने छोटे आकार के बावजूद, हापुड़ की जनसंख्या लगभग 1,338,211 है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, हापुड़ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का एक गतिशील मिश्रण प्रस्तुत करता है।

उत्तर-प्रदेश का राजनीतिक महत्व 

लोकसभा में सबसे अधिक सीटें : उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं, जो किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की आवाज बहुत मजबूत है।

प्रमुख राजनीतिक दलों का गढ़ : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का गढ़ रहा है, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ,लोक जनशक्ति पार्टी , लोकदल , जनता दल आदि।

प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्मस्थान : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्म स्थान रहा है, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, और योगी आदित्यनाथ जैसे महान नेता शामिल हैं।

राष्ट्रीय चुनावों में निर्णायक भूमिका : उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम अक्सर राष्ट्रीय चुनावों को प्रभावित करते हैं।

उत्तर प्रदेश का धार्मिक महत्व : उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

हिंदू धर्म का केंद्र : उत्तर प्रदेश को “भगवान राम की भूमि” के रूप में जाना जाता है और यह हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।

प्रमुख तीर्थस्थल : उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं, जिनमें वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा, और काशी शामिल हैं।

विभिन्न धर्मों का संगम : उत्तर प्रदेश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई सहित विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं।

सांस्कृतिक विविधता : उत्तर प्रदेश की संस्कृति और विरासत को पूरे भारत में जाना जाता है, सीखा जाता है और समझा जाता है, जिसमें कला, संगीत, साहित्य, और त्योहार शामिल हैं।

उत्तर-प्रदेश की भाषा, बोली, खानपान और पहनावा कैसा है?

भाषा और बोली:

हिंदी: उत्तर प्रदेश की आधिकारिक भाषा हिंदी है, जो पूरे राज्य में बोली और समझी जाती है।

अन्य भाषाएं : अवधी, ब्रजभाषा, बुंदेली, खड़ी बोली, और उर्दू भी यहाँ बोली जाती हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश : पूर्वी उत्तर प्रदेश में अवधी, भोजपुरी, और बाग़ेली बोली जाती हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्रजभाषा, हरियाणवी, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।

केंद्रीय उत्तर प्रदेश : केंद्रीय उत्तर प्रदेश में अवधी, बुंदेली, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।

खानपान :

विविधता : उत्तर प्रदेश में खानपान में विविधता देखने को मिलती है।

लोकप्रिय व्यंजन: कबाब, बिरयानी, चाट, समोसे, पराठे, दाल-बाटी-चूरमा, लस्सी, रबड़ी, और पेठा यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजन हैं।

क्षेत्रीय भिन्नता : पूर्वी उत्तर प्रदेश में चावल और मछली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं और दाल, और केंद्रीय उत्तर प्रदेश में मिश्रित खानपान का प्रचलन है।

पहनावा :

पुरुष : पुरुषों के लिए, धोती-कुर्ता, लूंगी, शेरवानी, और पगड़ी यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।

महिलाएं : महिलाओं के लिए, साड़ी, सलवार-कमीज, लहंगा-चोली, और घाघरा-चोली यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।

धार्मिक परिधान : कुछ लोग धार्मिक पहनावा भी पहनते हैं, जैसे कि मुस्लिमों द्वारा पहना जाने वाला बुर्का या हिंदुओं द्वारा पहना जाने वाला कुर्ता-पायजामा।

भौगोलिक आधार पर उत्तर-प्रदेश

उत्तर प्रदेश का भूगोल 4 भागों में बटा हुआ हैं जिसे पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड से जाना जाता है। हर भाग की अपनी एक विशेषता है, इसे विस्तार से समझते हैं :

उत्तर-प्रदेश के पूर्वांचल की विशेषता

शिक्षा : यहाँ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थान हैं।

पर्यटन : वाराणसी, सारनाथ और कुशीनगर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल यहाँ हैं, जो उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।

संस्कृति : पूर्वांचल की संस्कृति विविध और समृद्ध है, यहाँ लोग होली, दिवाली और छठ जैसे त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं।

भाषा : भोजपुरी, अवधी और हिंदी प्रमुख भाषाएँ हैं।

उत्तर-प्रदेश के पश्चिमांचल की विशेषता

क्षेत्र : पहाड़ी क्षेत्रों (हिमालय), पठारों (आगरा का पठार), और मैदानी भागों (दिल्ली का मैदान) का मिश्रण।

नदियां : यमुना, चंबल, केन जैसी प्रमुख नदियां।

मिट्टी : बलुई, चिकनी मिट्टी, और लाल मिट्टी।

जलवायु : गर्मियों में गर्म और शुष्क, सर्दियों में ठंडी।

कई विश्वविद्यालय और संस्थान : IIT Kanpur, IIT Roorkee, AMU Aligarh, BHU Varanasi, Lucknow University प्रसिद्ध हैं।

कृषि : गेहूं, चना, मूंगफली, तिलहन, बागवानी, और डेयरी मुख्य गतिविधियां हैं।

उद्योग : लौह और इस्पात, भारी इंजीनियरिंग, रसायन, खनन, और खनिजों का उत्पादन प्रमुख उद्योग हैं।

पर्यटन : ताजमहल, आगरा का किला, मथुरा, वृंदावन, और फतेहपुर सीकरी जैसे पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश का इतिहास और उत्तर प्रदेश की संस्कृति का प्रतीक हैं।

भाषा : ब्रजभाषा, अवधी, और बुंदेली भाषाओं का प्रभाव।

मध्यांचल और बुंदेलखंड की विशेषता

क्षेत्र : समतल मैदान, जलोढ़ मिट्टी, और घनी आबादी।

प्रमुख नदियां : गंगा, यमुना और घाघरा।

कृषि : धान, गेहूं, मक्का, और दलहन जैसी फसलों की खेती तथा गन्ना, आलू, और मशरूम जैसी नकदी फसलों का उत्पादन।

उद्योग : कपड़ा, चीनी, और कृषि-आधारित उद्योगों का केंद्र।

बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित एक पठारी क्षेत्र है, इसकी विशेषताएं हैं:

क्षेत्र : पहाड़ी और पठारी क्षेत्र।

प्रमुख नदियां : केन, बेतवा, चंबल।

कृषि : बाजरा, ज्वार, और मूंगफली जैसी फसलों की खेती।

उद्योग : खनन और खनिजों का उत्पादन।

भाषा : बुंदेली भाषा और संस्कृति का प्रभाव।

प्रमुख जिले और उनकी विशेषताएं

लखनऊ: राज्य की राजधानी

नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रुमी दरवाजा जैसे ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अवधी व्यंजन जैसे कबाब, बिरयानी, गुलाब जामुन यहाँ के खानपान की शान हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा संस्थान इसे ज्ञान का केंद्र बनाते है। छठ पूजा, ईद, होली जैसे त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं।

वाराणसी: धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर

उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक वाराणसी, हिंदू धर्म के लोग वाराणसी को काफी महत्वपूर्ण मानते है, गंगा नदी के किनारे बसा शहर यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर सहित प्राचीन मंदिरों और घाटों का समागम है।

आगरा: ताजमहल की नगरी

उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक आगरा, उत्तर प्रदेश में स्थित एक खूबसूरत शहर है। यह दुनिया भर में विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा अपनी मुगल वास्तुकला, हस्तशिल्प, और मुगलई खाने के लिए भी प्रसिद्ध है।

अन्य प्रमुख जिले: कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, गोरखपुर

कानपुर: औद्योगिक शहर, चमड़े और कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध।

मेरठ: ऐतिहासिक शहर, 1857 के विद्रोह का केंद्र।

इलाहाबाद: तीर्थस्थल, गंगा, यमुना, और सरस्वती नदी का संगम।

गोरखपुर: धार्मिक शहर, गोरखनाथ मठ का घर।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

यूपी के 75 जिले के नाम क्या है?

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के नाम इस प्रकार हैं: आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, अमेठी, औरैया, आजमगढ़, बागपत, बहराइच, बाराबंकी, बलिया, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, अमरोहा, कासगंज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हापुड़, हमीरपुर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, कुशीनगर, कौशांबी, महोबा, मैनपुरी, महाराजगंज, मथुरा, मऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रामपुर, रायबरेली, सहारनपुर, संभल, संत रविदास नगर, संत कबीर नगर, शाहजहांपुर, शामली, सीतापुर, श्रावस्ती, सोनभद्र, उन्नाव, वाराणसी, सुल्तानपुर, बांदा, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, और बलरामपुर है।

UP में कौन सी जाति ज्यादा है?

उत्तर प्रदेश (UP) में सबसे बड़ी जाति यादव जाति मानी जाती है, जो राज्य की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक शक्ति है। इसके अलावा, राज्य में कई अन्य प्रमुख जातियाँ भी हैं, जिनमें जाटव, ब्राह्मण, राजपूत, , गुर्जर, दक्षिणी पिछड़ी जातियाँ (जैसे कुर्मी, कश्यप,) और नोनिया (अल्पसंख्यक) शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की जाति संरचना बहुत विविध है और इसमें कई सामाजिक और सांस्कृतिक समूह शामिल हैं, जो राज्य की राजनीति, सामाजिक समीकरण और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर डालते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *