
आरपीएफ व रेलवे अफसर बने हैं अनभिज्ञ
सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (नॉर्थ) ने आरपीएफ को लिखा पत्र
झांसी। रेल सुरक्षा बल की मिलीभगत से रेलवे की जमीन में अवैध रुप से ईट भट्टा का कारोबार चल रहा है। इसकी जानकारी अफसरों को अच्छी तरह से हैं मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। बीते रोज सीनियर रेलवे सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (नॉर्थ) ने आरपीएफ को पत्र लिखा है। इस पत्र पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
पर्यावरण प्रदूषण के चलते जहां जनमानस घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है। वहीं फसलों व फलों का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ईट भट्टे का संचालन अमानत तरीके से कर रहे हैं। उनसे पास सबसे महत्वपूर्ण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है। बताया जा रहा है झांसी रेल मंडल के सोनागिर और दतिया रेलवे सेक्शन के किलोमीटर क्रमांर 1160/15 से 1160/ 11 के बीच ट्रैक किनारे ईट भट्टा का संचालन हो रहा है। बताते है कि कोई भी भट्टा नगर पालिका परिषद अथवा नगर पंचायत क्षेत्र के पांच किलोमीटर के भीतर नहीं स्थापित किया जाएगा, आबादी से कम से कम पांच सौ मीटर दूर, रजिस्टर्ड चिकित्सालय, स्कूल, सार्वजनिक इमारत, धार्मिक स्थानों अथवा किसी एेसे स्थान जहां ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण स्थल के एक किलोमीटर दूरी के भीतर स्थापित नहीं होगा। प्राणी उद्यान, वन्यजीव अभयारण्, एतिहासिक इमारतों, म्यूजियम आदि से पांच किलोमीटर दूरी होनी चाहिए। रेलवे ट्रैक से 200 मीटर व राष्ट्रीय और राज्यमार्ग के दोनों किनारों से तीन सौ मीटर दूरी होना चाहिए। एक ईट भट्टे से दूसरे ईट भट्टे की दूरी 800 मीटर दूरी हो। बताया जाता है कि बफर जोन में ईट भट्टा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन, जिला पंचायत विभाग से एनओसी, पर्यावरण सहमति पत्र व लाइसेंस आवश्यक है। मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरुरी है। लोहे की बजाय सीमेंट की चिमनी होनी चाहिए। पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होनी चाहिए, लेकिन यहां आरपीएफ के संरक्षण में उक्त भट्टे का कारोबार चल रहा है। इस मामले की जानकारी रेलवे अफसरों को अच्छी तरह से है मगर अब तक कार्रवाई नहीं की है। बीते रोज सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (उत्तर) ने आरपीएफ प्रभारी दतिया को एक पत्र भेजा है। पत्र के माध्यम से वहां से ईट भट्टा हटाने की मांग की है मगर पंद्रह दिन गुजरने के बाद भी अब तक ईट भट्टा बंद नहीं हुआ है।