रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने किया बुंदेलखंड का नाम रोशन
अखिल भारतीय किसान मेला मेरठ में प्राप्त किया द्वितीय व तृतीय स्थान
झाँसी। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ में आयोजित अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी (14 से 16 अक्टूबर 2025) में रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी ने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति और नवाचारों से सबका ध्यान आकर्षित किया। मेले का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि, कृषि शिक्षा मंत्री सूर्य प्रताप शाही तथा कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने फीता काटकर किया। विश्वविद्यालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् / कृषि विश्वविद्यालय श्रेणी में द्वितीय स्थान तथा फल प्रदर्शनी (नींबू वर्ग) में तृतीय स्थान प्राप्त कर रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी का गौरव बढ़ाया। इस आयोजन में मिली ट्रॉफी एवं प्रमाणपत्र आज कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह एवं निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुशील कुमार सिंह को डॉ. प्रभात तिवारी एवं डॉ. आशीष कुमार गुप्ता ने सौंपी। कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह* ने कहा कि “यह उपलब्धि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मेहनत और टीम भावना का परिणाम है। विश्वविद्यालय लगातार अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी प्रसार के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए समर्पित है। इस सम्मान से हम और अधिक उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रेरित हुए हैं। वहीं निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुशील कुमार सिंह* ने कहा कि “विश्वविद्यालय की यह उपलब्धि किसानों के साथ किए जा रहे निरंतर प्रयासों और तकनीकी हस्तांतरण की सफलता का प्रमाण है। हमारा उद्देश्य है कि प्रत्येक किसान तक आधुनिक कृषि तकनीक पहुंचे और वह आत्मनिर्भर बने। मेले में देशभर से आए 100 से अधिक सरकारी और निजी संस्थानों ने भाग लिया।विश्वविद्यालय के प्रदर्शन स्टॉल में किसानों को नई कृषि तकनीकों, उन्नत बीज, फसल विविधीकरण, जैविक खेती और जल संरक्षण उपायों की जानकारी दी गई, जिसे आगंतुकों और विशेषज्ञों ने खूब सराहा। इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि वह न केवल बुंदेलखंड, बल्कि पूरे प्रदेश में वैज्ञानिक कृषि नवाचार और किसान हितैषी कार्यों का अग्रणी केंद्र है।
प्रदेश समाचार / झाँसी टीम
भूखमुक्त और पोषित भारत के निर्माण में सतत कृषि निभाएगी अहम भूमिका – कुलाधिपति
बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए सबका साथ की थीम पर मनाया गया विश्व खाद्य दिवस
झांसी। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी में आज विश्व खाद्य दिवस 2025 बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया गया। इस वर्ष की थीम बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए साथ-साथ”* रही। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर पंजाब सिंह द्वारा किया गया, जबकि अध्यक्षता कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने की।
इस अवसर पर कुलाधिपति प्रो. पंजाब सिंह ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि “भारत में खाद्य विविधता और पारंपरिक व्यंजनों की समृद्ध परंपरा है। यदि हम स्थानीय स्तर पर उत्पादित अनाज, फल-सब्ज़ियों और पौष्टिक खाद्य पदार्थों को अपनाएँ, तो हम न केवल पोषण सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं बल्कि किसानों की आय भी बढ़ा सकते हैं। सतत् कृषि और संतुलित भोजन ही स्वस्थ समाज और उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारत आज विश्व खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी है। देश में अनाज, फल, सब्ज़ियों, दूध और मोटे अनाज के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम पोषण योजना और चावल फोर्टिफिकेशन जैसी सरकारी योजनाएँ पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ कर रही हैं।
कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने* अपने संबोधन में कहा कि “विश्व खाद्य दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि खाद्य सुरक्षा और पोषण का संबंध केवल उत्पादन से नहीं, बल्कि सामाजिक सहभागिता और तकनीकी नवाचार से भी है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य है कि हर वर्ग – किसान, वैज्ञानिक, विद्यार्थी और उपभोक्ता – सतत् कृषि और पौष्टिक भोजन के प्रति जागरूक बने। केवल सबका साथ और सबका प्रयास ही ‘बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य’ के लक्ष्य को साकार कर सकता है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों में पौष्टिक आहार, स्थानीय संसाधनों के उपयोग और खाद्य नवाचार को बढ़ावा देना है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में “फूड एक्सपो” का आयोजन किया गया, इसमें स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, ‘सुपर मॉम’ ज़हीदा, तथा रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने अपने-अपने क्षेत्रों के पारंपरिक और पौष्टिक व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई। प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, तमिलनाडु और उत्तर-पूर्वी राज्यों से आए प्रतिभागियों ने मिलेट्स, फल-सब्ज़ियों और स्थानीय अनाजों पर आधारित नवाचारपूर्ण व्यंजन प्रस्तुत किए। ज़हीदा द्वारा तैयार पारंपरिक घरेलू व्यंजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. गुंजन, डॉ. रवीन्द्र तिवारी और डॉ. घनश्याम अबरोल ने निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार के मार्गदर्शन में किया। इस अवसर पर डॉ. सुशील कुमार सिंह (निदेशक प्रसार शिक्षा), डॉ. मनीष श्रीवास्तव (डीन उद्यान विज्ञान संकाय), डॉ. गौरव शर्मा, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. प्रियंका शर्मा सहित अनेक संकाय सदस्य एवं अधिकारी उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल विश्व खाद्य दिवस का उत्सव रहा, बल्कि इसने यह संदेश भी दिया कि यदि समाज के सभी वर्ग मिलकर कार्य करें तो “भूखमुक्त, पोषित और आत्मनिर्भर भारत” का सपना साकार किया जा सकता है।