चित्रकूट : शानू गुप्ता की पहल से चित्रकूट व दिल्ली के बीच जुड़ी श्रद्धा की डोर
सीएम रेखा गुप्ता को कामदगिरि का आमंत्रण
चित्रकूट। भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट अब दिल्ली की सियासी धड़कनों से जुड़ती दिखाई दे रही है। दिल्ली की सीएम श्रीमती रेखा गुप्ता से राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन शानू गुप्ता ने औपचारिक मुलाकात की और उन्हें चित्रकूट भ्रमण का ससम्मान निमंत्रण दिया।
इस भेंट में शानू गुप्ता ने सीएम रेखा गुप्ता को भगवान कामतानाथ की पावन तस्वीर व वैजयंती माला भेंट की। इस धार्मिक उपहार के माध्यम से उन्होंने चित्रकूट की आध्यात्मिक महिमा को रेखांकित करते हुए कहा कि चित्रकूट केवल धर्म की भूमि नहीं, आस्था, संस्कृति और आध्यात्म का जीवंत संगम है, जहां आकर आत्मा को शांति मिलती है। शानू गुप्ता ने बताया कि सीएम रेखा गुप्ता व उनके परिवार का चित्रकूट से पुराना और आत्मीय संबंध रहा है। अभी हाल ही में उनके पति मनीष गुप्ता चित्रकूट की धार्मिक यात्रा पर आए थे और चित्रकूट के धार्मिक स्थलों का दर्शन किया। सीएम रेखा गुप्ता ने भी इस आमंत्रण पर आत्मीयता से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चित्रकूट भारत की आध्यात्मिक पहचान है। इस धरती पर आना सौभाग्य की बात है। जल्द ही मैं अपने परिवार और टीम के साथ चित्रकूट दर्शन हेतु योजना बनाऊंगी। सीएम के सहयोगी नरेश जैन, धीरज, विशाल पांडेय, मोहित आदि जन प्रतिनिधि भी लगातार राजधानी के नागरिकों की समस्याओं और जनभावनाओं को सीएम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
मऊरानीपुर : सुखनई नदी बहा रही है अपनी दुर्दशा पर आंसू
झांसी। मऊरानीपुर में वर्षों से निर्मल धारा के साथ कल कल बहने एवं कभी न सूखने वाली पवित्र सुखनई नदी के लिए मौजा ढिमलौनी में स्थित बरसों पूर्व ब.स.पा शासन में बनाया गया चेक डैम अभिशाप बन गया है। जिसके कारण नदी की ऐसी दुर्दशा हो गई है कि नदी का पानी वासिल व दुर्गंध युक्त हो गया है एवं नालों के पानी, जलकुंभी ,शौच सहित लगातार फैल रही गंदगी के कारण सुन्दर नदी बड़े नाले के रूप में नजर आने लगी है क्योंकि उक्त चेक डैम में फाटक ना होने से गंदगी का प्रतिशत लगतार बढ़ रहा है लेकिन पूरी स्थिति जानने के बाद प्रशासन अभी तक कदम नहीं उठा रही है इस संबंध में सामाजिक संगठनों व वरिष्ठ नागरिकों ने चेक डैम में फाटक लगाने की मांग की है लेकिन अब तक प्रशासन एवं राजनीतिक दलों के लोगों ने भी किसी प्रकार का प्रयास नहीं किया जिसमें नगर के मध्य बहने वाली सुखनई नदी बदरंग नजर आने लगी है और पूर्व में पालिका द्वारा सुखनई नदी की सफाई करने के लिए लाखों रुपए का ठेका दिया था लेकिन लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी सुखनई नदी की दुर्दशा ज्यों की त्यों बनी हुई है जलकुंभी से पूरी तरह पटी पड़ी हुई है।
बबीना : स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है – ब्रिगेडियर सुमित रावत
आर्मी पब्लिक स्कूल में वार्षिक खेल दिवस का आयोजन
श्रीमती दीप्ति रावत एवं ब्रिगेडियर सुमित रावत ने विजयी खिलाड़ियों को वितरित किये पुरस्कार
झांसी। बबीना आर्मी पब्लिक स्कूल में वार्षिक खेल दिवस का आयोजन विद्यालय अध्यक्ष ब्रिगेडियर सुमित रावत के मुख्यआतिथ्य एवं विशिष्ट अतिथि श्रीमती दीप्ति रावत अध्यक्षा F W O हैडक्वार्टर 27 आर्म्ड ब्रिगेड की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम स्थल पर मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि का स्वागत एन सी सी के कैडेट्स ने जोरदार सैल्यूट के साथ किया। प्राचार्या डिम्पल शेखावत ने अतिथियों की अगवानी की एवं नन्हीं मुन्नीं बच्चियों ने पुष्प गुच्छ भेंट किए। कार्यक्रम स्थल पर मुख्य अतिथि ने प्रज्वलित मशाल मशाल क्रीड़ा कप्तान को सौंपी। क्रीड़ा कप्तान आर्यन ने क्रीडांगन की प्रदक्षिणा करके मशाल को क्रीडांगन में स्थापित कर दिया। मुख्यअतिथि ने कार्यक्रम शुभारंभ की अनुमति प्रदान की तत्पश्चात विद्यालय घोष की धमक के साथ परेड का शुभारंभ हुआ। परेड को अग्रगति प्रदान कर रहे थे छात्र परिषद के प्रमुख राज गौतम तथा मुख्य छात्रा अंजलि सहलोत, बालक एन सी सी की कमान अंशुल यादव तथा बालिका एन सी की कमान तनीषा ने संभाली। विद्यालय घोष का नेतृत्व विश्वजीत कर रहे थे। देश के महान सैन्य योद्धाओं को समर्पित सदनों का नेतृत्व विश्वजीत कर रहे थे खेत्रपाल सदन की ध्वज वाहिका सौम्या पाण्डे उपकप्तान आयुष, तारापुर सदन ध्वज वाहक सुमित उपकप्तान सुमित उप कप्तान ऐश्वर्या रावत, सोमनाथ सदन ध्वज वाहिका अंशिका उपकप्तान साहिल, होशियार सदन ध्वज वाहक मारूफ तथा उपकप्तान अर्पिता थीं। खेलो इंडिया खेलो की झलक से सम्पूर्ण क्रीडांगन खेलमय हो गया, स्टार्स आफ इंडिया, लाइटिंग टोज, सन फ्लावर्स डांस, पांम्प पांम्प डांस, अब्रेला डांस, मलखंभ, ऐरोविक्स और जैज बैंड ने खेल दिवस की थीम कलर्स आफ इंडिया को साकार कर दिया। मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि ने शीर्ष स्थान प्राप्त करने खेल प्रतिभागियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रमाण सहित प्रदान किए।
बालिका रेस में झलक, साक्षी, एंजल (100 मीटर रेस) बालक /बालिका रेस में अभिजीत, आर्यन तथा झलक, ऐश्वर्या रावत व साक्षी रहे। प्राथमिक विद्यालय बबीना बाजार जिसे आर्मी पब्लिक स्कूल ने विद्यांजलि कार्यक्रम के अंतर्गत गोद लिया है तथा आधुनिक सुख सुविधाओं से सुसज्जित किया है इसी कड़ी में आज के कार्यक्रम में एक बार फिर बबीना बाजार की प्रधानाध्यापिका को दो कूलर तथा तीन लाइब्रेरी बुक शेल्फ मुख्य अतिथि ने अपने कर कमलों से तालियों के बीच सौंपे। मुख्य अतिथि ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस अनूठे कार्यक्रम के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं आप देश का भविष्य हो, खेल न केवल शारीरिक सुदृढ़ता प्रदान करता है बल्कि मानसिक बौद्धिकता को बढ़ाता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है आपको बहुत-बहुत बधाई और विजयी भवः का आशीर्वाद। मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम को भव्य और दिव्य रूप देने के लिए प्राचार्या डिम्पल शेखावत और शिक्षकों की सराहना की। प्राचार्या डिम्पल शेखावत ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपकी अनूठी बौद्धिक क्षमता, नवनीत विचार और दूर दृष्टि ने विद्यालय को सुसज्जित रूप प्रदान किया। आपका आभार हमारी शक्ति है। आभार की वेला में प्यारे बच्चों को अनंत आशीर्वाद दिये तथा अभिभावकों का ह्रदय से आभार व्यक्त किया तथा शिक्षकों और कर्मचारियों की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन सोनिका सिंह एवं हरीमोहन पुरोहित ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में नेहा शर्मा (व्यवस्थापिका बाल वाटिका) अरुण दीक्षित, देवेन्द्र दीक्षित, जितेंद्र जैन, दीपक यादव, मनोज मिश्रा, लाजर बरारा, राममोहन मिश्रा, हेमलता, सचिन, सुधीर झा, आरती शर्मा, मेघा सिंह, प्रिया समेत सभी शिक्षकों ने सराहनीय सहयोग दिया। खेत्रपाल सदन प्रमुख राहुल यादव, सोमनाथ सदन शैलेन्द्र शर्मा, अरविंद जैन तारापुर सदन तथा होशियार सदन प्रमुख ब्रिजेश यादव थे।
झांसी : ऐसे महोत्सव से बुंदेली कला संस्कृति का मान बढ़ेगाः कुलपति
बीकेडी में तीन दिवसीय बुन्देली महोत्सव एवं राष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन समापन
झांसी। क्रान्तिवीर तात्याटोपे विश्वविद्यालय, गुना (म.प्र.) के कुलपति प्रो. किशन यादव ने कहा कि ऐसे महोत्सव के द्वारा बुंदेली कला संस्कृति का मान बढ़ेगा एवं सम्पूर्ण भारत बुन्देलखण्ड एवं बुंदेली वीरों, कवियों, खिलाड़ियों तथा यहां की प्रतिभाओं से परिचित हो पायेगा। यह बात उन्होंने बुन्देलखण्ड के सर्वाधिक प्राचीन, गौरवशाली, समृद्ध उच्च शिक्षा के संस्थान बुन्देलखण्ड कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय बुंदेली महोत्सव एवं राष्ट्रीय पुस्तक मेले के समापन समारोह पर कही है।
उन्होंने तीन दिवसीय बुंदेली महोत्सव को भव्यता से मनाने के लिए बुन्देलखण्ड कॉलेज के समस्त सम्मानित शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को बधाई दी।बुन्देलखण्ड कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एस.के. राय के नेतृत्व में आयोजित समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में क्रान्तिवीर तात्याटोपे विश्वविद्यालय, गुना (म.प्र.) के कुलपति प्रो. किशन यादव उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में प्रदीप सरावगी (दुग्ध डेयरी संघ डायरेक्टर), शैलेन्द्र प्रातप सिंह (भा.ज.पा. जिला उपाध्यक्ष), मनोहर लाल वाजपेयी (प्रबन्धक, बुन्देलखण्ड कॉलेज), डॉ. नीति शास्त्री (वरिष्ठ समाज सेवी), सन्तराम चौधरी (समाज कल्याण विभाग, उ.प्र. सरकार), डॉ. मिथलेश राठौर (मेडीकल ऑफीसर) एवं बुन्देलखण्ड कॉलेज के पुरातन छात्र डॉ. सुदर्शन शिवहरे, डॉ. मनमोहन मनु, उपस्थित रहे।
बुंदेलखंड के लोक देवता लाला हरदौल की कथा का किया मंचन
अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात बुन्देलखण्ड कॉलेज के नव कुलगीत का सामुहिक गान किया गया। समापन समारोह कार्यक्रम का आकर्षण तरकश लोक कला नाटक केन्द्र झाँसी के कलाकारों द्वारा भावपूर्ण, मार्मिक प्रस्तुति के माध्यम से बुन्देलखण्ड के लोक देवता लाला हरदौल की कथा का मंचन किया गया। जिसने सभी दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। नाटक के लेखक एवं निर्देशक महेन्द्र वर्मा एवं अन्य कलाकार संजय राष्ट्रवादी, राघवेन्द्र सिंह, मंजू वर्मा, अंकुर चाचरा के शानदार अभिनय के लिए कॉलेज के प्राचार्य एवं अतिथियों द्वारा पुष्प एवं अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात बुन्देली समाज में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली मातृ शक्तियों को बुन्देलखण्ड कॉलेज द्वारा नारी शक्ति वन्दन कार्यक्रम के माध्यम से सम्मानित किया गया।
इनको किया सम्मानित
मुख्य रूप से डॉ. केश गुप्ता (चिकित्सक), डॉ. मोनिका गोस्वामी (चिकित्सक), डॉ. प्रियंका साहू (नगर निगम), डॉ. गीता सहरिया (काउंसलर), कु. राधिका अग्रवाल (शोधकर्ता), डॉ. स्वप्निल मोदी (चिकित्सक), वैष्णवी दीक्षित (ट्रैक मैनेजर), श्रीमती अरूणा गुप्ता (शिक्षिका), प्रगति सिंह (ट्रैक मैनेजर), दिव्यांशी कश्यप (रेलवे) आदि को सम्मानित किया गया।
विभिन्न प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को दिया इनाम
बुन्देली भित्तिचित्र एवं अन्य पारम्परिक कला प्रदर्शनी प्रतियोगिता में निकिता राजपूत प्रथम, अंशिका सिंह द्वितीय एवं महक यादव को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। बुन्देलखण्ड के पारम्परिक व्यंजन प्रतियोगिता में मेघा एवं मिथलेश सिंह को प्रथम, धीरेन्द्र के समूह को द्वितीय एवं मोहिता कौशल को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। बुन्देलखण्ड की झाँकी प्रतियोगिता में प्रियंका, पायल, साधना, चंचल, काजल, अमन, सत्यम एवं स्नेहा की टीम को प्रथम पुरस्कार, कुदरत यादव, आकाश, मुस्कान की टीम को द्वितीय पुरस्कार एवं सोनम, सत्येन्द्र, जीतेन्द्र, तुषार, संध्या, सुरेन्द्र, अनुराधा की टीम को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। बुंदेली लोककथा वाचन प्रतियोगिता में रवीना, रामरती को प्रथम, आयुषी श्रीवास्तव को द्वितीय, मोहिता साहू एवं भरत लाल को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। बुन्देली लोक नृत्य प्रतियोगिता में राई नृत्य के लिए रेंजर्स की टीम को प्रथम, ढिमरियाई नृत्य के लिए रोवर्स की टीम को द्वितीय एवं राई नृत्य के लिए बी.एड. विभाग से प्रियदर्शिनी, प्रियांषी की टीम को तृतीय तथा दीवारी नृत्य के लिए एन.सी.सी. की टीम को भी तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। लोक गीत गायन प्रतियोगिता में एकता को प्रथम, भरत लाल को द्वितीय एवं शिवम हरी को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मयंक त्रिवेदी द्वारा किया गया।
यह लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर प्रो. संजय सक्सेना, प्रो. उमारतन यादव, प्रो. एल.सी. साहू, प्रो. स्मिता जायसवाल, प्रो. नवेन्द्र सिंह, प्रो. नीलम सिंह, प्रो. अश्वनी कुमार, प्रो. अजीत सिंह, प्रो. प्रतिमा सिंह परमार, डॉ. रोबिन कुमार सिंह, डॉ. संतोष रानी, डॉ. हिमानी, डॉ. चंचल कुमारी, डॉ. शिव प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. श्याम मोहन पटेल, डॉ. उमेशचन्द्र यादव, डॉ. नरेन्द्र गुप्ता, डॉ. राकेश यादव, डॉ. कमलेश सिंह, डॉ. सुरेन्द्र नारायण, डॉ. रहीस अली, डॉ. चन्दन कुमार सिंह, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. वन्दना कुशवाहा, डॉ. रामानन्द जायसवाल, डॉ. ए.एस. परमार आदि शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। कार्यक्रमों के सफल संचालन में रत्नेश श्रीवास्तव, भानु प्रताप सिंह, अंकित राज, धनीराम, संजीव कुमार, संजय गुर्जर, ललित वर्मा एवं कल्याण सिंह कुशवाहा, कपिल कुमार सविता का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। समस्त कार्यक्रम में समस्त शिक्षकगण, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उत्साह पूर्वक उपस्थित रहे।
लखनऊ : लोजपा प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द पासवान ने की मुख्यमंत्री योगी से मुलाक़ात
ठेकेदारी में दलित एवं कमजोर वर्ग को आरक्षण देने की उठायी मांग
लखनऊ। लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास ) के प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द पासवान ने आज प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ से भेंट की और उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर प्रदेश के मुख्यमन्त्री से चर्चा की जिसमे उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि लखनऊ में पार्टी कार्यालय और गोरखपुर देवरिया बाईपास चौराहे का नाम महाराजा बिजली पासी के नाम पर करने एवम् ठेकेदारी में दलित एवं कमजोर वर्ग को आरक्षण देने के सम्बन्ध में चर्चा किया । मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मुद्दों को ध्यान से सुना और बहुत ही सकारात्मक जवाब दिया। बहुत जल्द लखनऊ में कार्यालय देने का आश्वासन भी प्रदेश अध्यक्ष को दिया है ।
हमारा उत्तर प्रदेश : क्या आप जानते है ?
अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या सामान्य जानकारी के उद्देश्य से भी आपको पता होना चाहिए की उत्तर प्रदेश में कितने जिले हैं और उत्तर प्रदेश के जिले के नाम क्या हैं। उनकी विशेषता क्या है , उनके प्रशासनिक महत्व, जिलों के विकास कार्य और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
उत्तर प्रदेश का परिचय :-
उत्तर प्रदेश का गठन 26 जनवरी, 1950 को किया गया था। इससे पहले इसे संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था। इतिहास उठाकर देखें, तो पूर्व में इसे कौशल और पांचाल साम्राज्य से जाना जाता था। बाद में यहां शर्की पहुंचे और उन्होंने यहां जौनपुर बसाया। बाद में यहां मुगल पहुंचे, तो उन्होंने जौनपुर के पास अवध सूबा बसाया। ब्रिटिश पहुंचे, तो उन्होंने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया। कुछ समय बाद इसे अवध सूबे में मिला दिया गया और यह संयुक्त प्रांत बना। देश आजाद हुआ और प्रदेश का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश में कुल जिले 75 हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये 18 मंडल कुल चार संभागों में आते हैं, जो कि पश्चीमी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड है। इन चार संभागों में कुल 351 तहसीलों के साथ-साथ 826 सामुदायिक विकास खंड, 200 नगर पालिका परिषद्, 75 नगर पंचायत, 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायत और एक लाख से अधिक गांव मौजूद हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं जिन्हे 18 मुख्यालयों में बांटा गया है। उत्तर प्रदेश के जिले के नाम कुछ इस प्रकार हैं। आगरा , अलीगढ़ , प्रयागराज ,अम्बेडकर नगर ,अमरोहा , औरैया ,आजमगढ़, बदायूं, बहराइच, बलरामपुर, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, हापुड़, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज कौशाम्बी, शीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, महाराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, शाहजहांपुर, शामली, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उन्नाव, वाराणसी है।
राज्य का कुल क्षेत्रफल और जनसंख्या
उत्तर प्रदेश राज्य का क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर (लगभग) है। यह पूरे भारत के क्षेत्रफल का करीब 7.329% है। क्षेत्रफल के मामले में राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। वर्तमान (2025) में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 24.41 करोड़ (अनुमानित) है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को लेकर वर्तमान में जनगणना का सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है। उत्तर प्रदेश के जिले में जनगणना आखरी बार 2011 में की गई थी। उत्तर प्रदेश में अगली जनगणना 2021 में कि जानी थी जो कि 2025 तक के लिए स्थगित कर दि गई है। 2011 के जनगणना डेटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य है। जो की भारत के कुल जनसंख्या का 16.51% (लगभग) है।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी है, जो 7,680 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में सबसे बड़े जिलों में से एक है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, लखीमपुर खीरी अपने कृषि महत्व के लिए प्रसिद्ध है और राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस जिले की जनसंख्या लगभग 3,200,137 है, जो इसके आकार और जनसंख्या दोनों के संदर्भ में इसकी प्रमुखता को दर्शाती है।
उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला
उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो 660 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह राज्य का सबसे छोटा जिला होने का गौरव रखता है। अपने छोटे आकार के बावजूद, हापुड़ की जनसंख्या लगभग 1,338,211 है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, हापुड़ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का एक गतिशील मिश्रण प्रस्तुत करता है।
उत्तर-प्रदेश का राजनीतिक महत्व
लोकसभा में सबसे अधिक सीटें : उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं, जो किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की आवाज बहुत मजबूत है।
प्रमुख राजनीतिक दलों का गढ़ : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का गढ़ रहा है, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ,लोक जनशक्ति पार्टी , लोकदल , जनता दल आदि।
प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्मस्थान : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्म स्थान रहा है, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, और योगी आदित्यनाथ जैसे महान नेता शामिल हैं।
राष्ट्रीय चुनावों में निर्णायक भूमिका : उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम अक्सर राष्ट्रीय चुनावों को प्रभावित करते हैं।
उत्तर प्रदेश का धार्मिक महत्व : उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
हिंदू धर्म का केंद्र : उत्तर प्रदेश को “भगवान राम की भूमि” के रूप में जाना जाता है और यह हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।
प्रमुख तीर्थस्थल : उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं, जिनमें वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा, और काशी शामिल हैं।
विभिन्न धर्मों का संगम : उत्तर प्रदेश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई सहित विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं।
सांस्कृतिक विविधता : उत्तर प्रदेश की संस्कृति और विरासत को पूरे भारत में जाना जाता है, सीखा जाता है और समझा जाता है, जिसमें कला, संगीत, साहित्य, और त्योहार शामिल हैं।
उत्तर-प्रदेश की भाषा, बोली, खानपान और पहनावा कैसा है?
भाषा और बोली:
हिंदी: उत्तर प्रदेश की आधिकारिक भाषा हिंदी है, जो पूरे राज्य में बोली और समझी जाती है।
अन्य भाषाएं : अवधी, ब्रजभाषा, बुंदेली, खड़ी बोली, और उर्दू भी यहाँ बोली जाती हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश : पूर्वी उत्तर प्रदेश में अवधी, भोजपुरी, और बाग़ेली बोली जाती हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्रजभाषा, हरियाणवी, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।
केंद्रीय उत्तर प्रदेश : केंद्रीय उत्तर प्रदेश में अवधी, बुंदेली, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।
खानपान :
विविधता : उत्तर प्रदेश में खानपान में विविधता देखने को मिलती है।
लोकप्रिय व्यंजन: कबाब, बिरयानी, चाट, समोसे, पराठे, दाल-बाटी-चूरमा, लस्सी, रबड़ी, और पेठा यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजन हैं।
क्षेत्रीय भिन्नता : पूर्वी उत्तर प्रदेश में चावल और मछली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं और दाल, और केंद्रीय उत्तर प्रदेश में मिश्रित खानपान का प्रचलन है।
पहनावा :
पुरुष : पुरुषों के लिए, धोती-कुर्ता, लूंगी, शेरवानी, और पगड़ी यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।
महिलाएं : महिलाओं के लिए, साड़ी, सलवार-कमीज, लहंगा-चोली, और घाघरा-चोली यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।
धार्मिक परिधान : कुछ लोग धार्मिक पहनावा भी पहनते हैं, जैसे कि मुस्लिमों द्वारा पहना जाने वाला बुर्का या हिंदुओं द्वारा पहना जाने वाला कुर्ता-पायजामा।
भौगोलिक आधार पर उत्तर-प्रदेश
उत्तर प्रदेश का भूगोल 4 भागों में बटा हुआ हैं जिसे पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड से जाना जाता है। हर भाग की अपनी एक विशेषता है, इसे विस्तार से समझते हैं :
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की विशेषता
शिक्षा : यहाँ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थान हैं।
पर्यटन : वाराणसी, सारनाथ और कुशीनगर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल यहाँ हैं, जो उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
संस्कृति : पूर्वांचल की संस्कृति विविध और समृद्ध है, यहाँ लोग होली, दिवाली और छठ जैसे त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं।
भाषा : भोजपुरी, अवधी और हिंदी प्रमुख भाषाएँ हैं।
उत्तर-प्रदेश के पश्चिमांचल की विशेषता
क्षेत्र : पहाड़ी क्षेत्रों (हिमालय), पठारों (आगरा का पठार), और मैदानी भागों (दिल्ली का मैदान) का मिश्रण।
नदियां : यमुना, चंबल, केन जैसी प्रमुख नदियां।
मिट्टी : बलुई, चिकनी मिट्टी, और लाल मिट्टी।
जलवायु : गर्मियों में गर्म और शुष्क, सर्दियों में ठंडी।
कई विश्वविद्यालय और संस्थान : IIT Kanpur, IIT Roorkee, AMU Aligarh, BHU Varanasi, Lucknow University प्रसिद्ध हैं।
कृषि : गेहूं, चना, मूंगफली, तिलहन, बागवानी, और डेयरी मुख्य गतिविधियां हैं।
उद्योग : लौह और इस्पात, भारी इंजीनियरिंग, रसायन, खनन, और खनिजों का उत्पादन प्रमुख उद्योग हैं।
पर्यटन : ताजमहल, आगरा का किला, मथुरा, वृंदावन, और फतेहपुर सीकरी जैसे पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश का इतिहास और उत्तर प्रदेश की संस्कृति का प्रतीक हैं।
भाषा : ब्रजभाषा, अवधी, और बुंदेली भाषाओं का प्रभाव।
मध्यांचल और बुंदेलखंड की विशेषता
क्षेत्र : समतल मैदान, जलोढ़ मिट्टी, और घनी आबादी।
प्रमुख नदियां : गंगा, यमुना और घाघरा।
कृषि : धान, गेहूं, मक्का, और दलहन जैसी फसलों की खेती तथा गन्ना, आलू, और मशरूम जैसी नकदी फसलों का उत्पादन।
उद्योग : कपड़ा, चीनी, और कृषि-आधारित उद्योगों का केंद्र।
बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित एक पठारी क्षेत्र है, इसकी विशेषताएं हैं:
क्षेत्र : पहाड़ी और पठारी क्षेत्र।
प्रमुख नदियां : केन, बेतवा, चंबल।
कृषि : बाजरा, ज्वार, और मूंगफली जैसी फसलों की खेती।
उद्योग : खनन और खनिजों का उत्पादन।
भाषा : बुंदेली भाषा और संस्कृति का प्रभाव।
प्रमुख जिले और उनकी विशेषताएं
लखनऊ: राज्य की राजधानी
नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रुमी दरवाजा जैसे ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अवधी व्यंजन जैसे कबाब, बिरयानी, गुलाब जामुन यहाँ के खानपान की शान हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा संस्थान इसे ज्ञान का केंद्र बनाते है। छठ पूजा, ईद, होली जैसे त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं।
वाराणसी: धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर
उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक वाराणसी, हिंदू धर्म के लोग वाराणसी को काफी महत्वपूर्ण मानते है, गंगा नदी के किनारे बसा शहर यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर सहित प्राचीन मंदिरों और घाटों का समागम है।
आगरा: ताजमहल की नगरी
उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक आगरा, उत्तर प्रदेश में स्थित एक खूबसूरत शहर है। यह दुनिया भर में विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा अपनी मुगल वास्तुकला, हस्तशिल्प, और मुगलई खाने के लिए भी प्रसिद्ध है।
अन्य प्रमुख जिले: कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, गोरखपुर
कानपुर: औद्योगिक शहर, चमड़े और कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध।
मेरठ: ऐतिहासिक शहर, 1857 के विद्रोह का केंद्र।
इलाहाबाद: तीर्थस्थल, गंगा, यमुना, और सरस्वती नदी का संगम।
गोरखपुर: धार्मिक शहर, गोरखनाथ मठ का घर।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यूपी के 75 जिले के नाम क्या है?
उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के नाम इस प्रकार हैं: आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, अमेठी, औरैया, आजमगढ़, बागपत, बहराइच, बाराबंकी, बलिया, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, अमरोहा, कासगंज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हापुड़, हमीरपुर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, कुशीनगर, कौशांबी, महोबा, मैनपुरी, महाराजगंज, मथुरा, मऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रामपुर, रायबरेली, सहारनपुर, संभल, संत रविदास नगर, संत कबीर नगर, शाहजहांपुर, शामली, सीतापुर, श्रावस्ती, सोनभद्र, उन्नाव, वाराणसी, सुल्तानपुर, बांदा, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, और बलरामपुर है।
UP में कौन सी जाति ज्यादा है?
उत्तर प्रदेश (UP) में सबसे बड़ी जाति यादव जाति मानी जाती है, जो राज्य की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक शक्ति है। इसके अलावा, राज्य में कई अन्य प्रमुख जातियाँ भी हैं, जिनमें जाटव, ब्राह्मण, राजपूत, , गुर्जर, दक्षिणी पिछड़ी जातियाँ (जैसे कुर्मी, कश्यप,) और नोनिया (अल्पसंख्यक) शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की जाति संरचना बहुत विविध है और इसमें कई सामाजिक और सांस्कृतिक समूह शामिल हैं, जो राज्य की राजनीति, सामाजिक समीकरण और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर डालते हैं।
रेलवे की जमीन में अवैध रुप से चल रहा है ईट भट्टा का कारोबार
आरपीएफ व रेलवे अफसर बने हैं अनभिज्ञ
सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (नॉर्थ) ने आरपीएफ को लिखा पत्र
झांसी। रेल सुरक्षा बल की मिलीभगत से रेलवे की जमीन में अवैध रुप से ईट भट्टा का कारोबार चल रहा है। इसकी जानकारी अफसरों को अच्छी तरह से हैं मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। बीते रोज सीनियर रेलवे सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (नॉर्थ) ने आरपीएफ को पत्र लिखा है। इस पत्र पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
पर्यावरण प्रदूषण के चलते जहां जनमानस घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है। वहीं फसलों व फलों का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ईट भट्टे का संचालन अमानत तरीके से कर रहे हैं। उनसे पास सबसे महत्वपूर्ण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है। बताया जा रहा है झांसी रेल मंडल के सोनागिर और दतिया रेलवे सेक्शन के किलोमीटर क्रमांर 1160/15 से 1160/ 11 के बीच ट्रैक किनारे ईट भट्टा का संचालन हो रहा है। बताते है कि कोई भी भट्टा नगर पालिका परिषद अथवा नगर पंचायत क्षेत्र के पांच किलोमीटर के भीतर नहीं स्थापित किया जाएगा, आबादी से कम से कम पांच सौ मीटर दूर, रजिस्टर्ड चिकित्सालय, स्कूल, सार्वजनिक इमारत, धार्मिक स्थानों अथवा किसी एेसे स्थान जहां ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण स्थल के एक किलोमीटर दूरी के भीतर स्थापित नहीं होगा। प्राणी उद्यान, वन्यजीव अभयारण्, एतिहासिक इमारतों, म्यूजियम आदि से पांच किलोमीटर दूरी होनी चाहिए। रेलवे ट्रैक से 200 मीटर व राष्ट्रीय और राज्यमार्ग के दोनों किनारों से तीन सौ मीटर दूरी होना चाहिए। एक ईट भट्टे से दूसरे ईट भट्टे की दूरी 800 मीटर दूरी हो। बताया जाता है कि बफर जोन में ईट भट्टा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन, जिला पंचायत विभाग से एनओसी, पर्यावरण सहमति पत्र व लाइसेंस आवश्यक है। मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरुरी है। लोहे की बजाय सीमेंट की चिमनी होनी चाहिए। पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होनी चाहिए, लेकिन यहां आरपीएफ के संरक्षण में उक्त भट्टे का कारोबार चल रहा है। इस मामले की जानकारी रेलवे अफसरों को अच्छी तरह से है मगर अब तक कार्रवाई नहीं की है। बीते रोज सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ (उत्तर) ने आरपीएफ प्रभारी दतिया को एक पत्र भेजा है। पत्र के माध्यम से वहां से ईट भट्टा हटाने की मांग की है मगर पंद्रह दिन गुजरने के बाद भी अब तक ईट भट्टा बंद नहीं हुआ है।
क्या है सामान्य ज्ञान ?
सामान्य ज्ञान विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ज्ञान जो गैर विशेषज्ञ मीडिया की एक श्रृंखला द्वारा आता है समान्य ज्ञान होता है। विभिन्न शब्दकोशों के अनुसार वो “ज्ञान जो सभी के लिए उपलब्ध है” वो सामान्य ज्ञान है।[1][2] सामान्य ज्ञान में इसलिए एक विस्तृत श्रृंखला के ज्ञान विषय शामिल होते हैं। सामान्य ज्ञान न केवल व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का मापदंड होता है, बल्कि यह उसकी तार्किक सोच और विवेकशीलता को भी परिभाषित करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति समाज, संस्कृति और आधुनिक परिवेश के प्रति अपनी समझ को विस्तार देता है। यह ज्ञान, न केवल शिक्षित व्यक्तियों के लिए, अपितु समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए उपयोगी है। एक अध्ययन के अनुसार 18 विभिन्न क्षेत्र सामान्य ज्ञान की परिभाषा को पूर्ण करने के लिए आवश्यक हैं: विज्ञान का इतिहास, राजनीति, खेल, इतिहास, शास्त्रीय संगीत, कला, साहित्य, सामान्य विज्ञान, भूगोल, पाकशास्त्र, चिकित्सा, खोज और अन्वेषण, जीव विज्ञान, फिल्म, फैशन, वित्त और लोकप्रिय संगीत। शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि सामान्य ज्ञान के अन्य क्षेत्र भी मौजूद हो सकते हैं।
किसी भी दशा में अपराधी सजा से बचने ना पाएः जिलाधिकारी
मार्च में 51 अपराधियों को न्यायालय से दिलायी सजा
ज्यादा से ज्यादा अपराधियों को सजा दिलाना सुनिश्चित करें
महिलाओं के विरुद्ध घटित घटनाओं के प्रति गंभीर होकर पैरवी करें शासकीय अधिवक्ता
झांसी। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने विकास भवन सभागार में अभियोजन समिति की बैठक में वादों के निस्तारण के सम्बन्धित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए उपस्थित शासकीय अधिवक्ताओं से एक-एक वाद के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हुए प्रभावी पैरवी कर निस्तारण कराए जाने के निर्देश दिए।
इस दौरान जिलाधिकारी ने जनपद में माह मार्च में 51 अपराधियों को सजा दिलाए जाने पर शासकीय अधिवक्ताओं से कहा कि पैरवी और अधिक संवेदनशील होकर की जाए ताकि अपराधी को अपने द्वारा किए गए अपराध की सजा दिलाई जा सके। उन्होंने कहा पास्को एक्ट व महिला उत्पीड़न के सहित अन्य मुकदमों में प्रभावी ढंग से पैरवी करते हुए दोषियों को सजा दिलाएं।
जिलाधिकारी ने अभियोजन अधिकारियों एवं शासकीय अधिवक्ताओं से कहा कि गैंगस्टर, महिलाओं और बच्चों से संबंधित आपराधिक मामलों का निर्धारित समयावधि के अंतर्गत निस्तारण कराया जाना सुनिश्चित करें, हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए कि हम न्याय समय से दिला सकें। उन्होंने कहा कि शासन के मंशानुरूप महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध अपराधों से संबंधित वादों में शीघ्रता लाते हुए गवाहों को बुलाकर न्यायालय में वादो को तय कराकर अभियुक्त को अधिक से अधिकतम सजा दिलाई जाए। उन्होने कहा कि महिलाओं से संबधित अपराध, हत्या, अपहरण, बलात्कार जैसी घटनाओं का चार्ट अलग बनाया जाए। उन्होंने पास्को एक्ट में पैरोकार की व्यवस्था करने के निर्देश देते हुए कहा कि लक्ष्य निर्धारित करते हुए अधिक से अधिक दोषियों को सजा दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाए जिससे अपराधियों को यह मैसेज जाए कि छोटे से छोटा अपराध करने पर भी वह सजा से बच नहीं सकते।
इस दौरान बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरुण कुमार सिंह, संयुक्त निदेशक अभियोजन देशराज सिंह, विजय सिंह कुशवाहा डीजीसी, मृदुलकांत श्रीवास्तव डीजीसी, संजय पाण्डेय एडीजीसी, नरेंद्र कुमार खरे विशेष लोक अभियोजक पास्को, अतुलेश कुमार सक्सेना एडीजीसी, रवि प्रकाश गोस्वामी एडीजीसी, दीपक तिवारी विशेष लोक अभियोजक एनटीपीसी, अधिवक्ता सहित समस्त जिला शासकीय अधिवक्तागण, सहायक शासकीय अधिवक्ता विशेष लोक अभियोजक, एपीओ आदि उपस्थित रहे।
झाँसी मंडल द्वारा माल परिवहन में नए कीर्तिमान स्थापित
झांसी। रेल परिवहन क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज करते हुए, झाँसी मंडल ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान माल लदान एवं राजस्व अर्जन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यह प्रगति भारतीय रेलवे की दक्षता, नवाचार और समर्पण का जीवंत प्रमाण है।
प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:
ऑरिजिनेटिंग लोडिंग में रिकॉर्ड प्रदर्शन: अप्रैल 2024 में झाँसी मंडल ने 474 वैगनों की लोडिंग कर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया।
एलपीजीयू साइडिंग से कोयले की सर्वाधिक अनलोडिंग : जनवरी 2025 में 196 कोयला रैकों का संचालन कर सर्वकालिक उच्चतम अनलोडिंग का रिकॉर्ड बनाया गया।
मालगाड़ियों का सर्वश्रेष्ठ इंटरचेंज: 15 मार्च 2025 को 204 मालगाड़ियों का इंटरचेंज कर एक दिन में सर्वाधिक इंटरचेंज का रिकॉर्ड स्थापित किया गया।
लॉन्ग हॉल ट्रेनों का ऐतिहासिक संचालन: अप्रैल 2024 में 74 लॉन्ग हॉल ट्रेनों का संचालन कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया।
पीओएल रैक लोडिंग में वृद्धि: वर्ष 2023-24 में 990 रैकों की तुलना में इस वर्ष अब तक 1115 रैकों का लदान कर 2.9 मिलियन टन माल परिवहन हुआ, जिससे 290 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया।
कंटेनर लोडिंग में विस्तार: अब तक केवल आईसीडीएम साइडिंग से कंटेनर लोडिंग होती थी, लेकिन इस वर्ष मालनपुर माल गोदाम से भी लोडिंग शुरू की गई। इसके परिणामस्वरूप 0.22 मिलियन टन कंटेनर लदान से 28.74 करोड़ रुपये की आय हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।
नया व्यापार — सीमेंट लोडिंग: फरवरी 2025 से भरुआसुमेरपुर से सीमेंट का लदान शुरू किया गया, जिससे अब तक 16 रैक लोड कर 2.4 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की गई l
इनका कहना है
मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा ने समस्त रेलकर्मियों को बधाई दी है। डीआरएम ने भविष्य में भी इसी प्रकार के उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रेरित किया है। उनका कहना है कि यह प्रगति न केवल रेलवे की कार्यकुशलता और संसाधनों के समुचित उपयोग को दर्शाती है, बल्कि देश की आर्थिक समृद्धि में रेलवे के योगदान को भी रेखांकित करती है।