झांसी : कौन थे वो लोग : जिन्हे मरने के बाद नहीं मिला अपनों का कंधा

नसीब हुआ तो सिर्फ पुलिस का दिया कफन जिसमें लिपटकर पहुंच गए शमशान और कब्रिस्तान
तीन माह में झांसी में मिले 50 अज्ञात शव , पुलिस खोज रही परिजनों को
स्पेशल रिपोर्टर डेस्क / झांसी। जीते जी अपनों का सहारा मिला हो या न मिला हो, लेकिन मरने के बाद नहीं मिला उनका कंधा। नसीब हुआ तो सिर्फ पुलिस का दिया कफन जिसमें लिपटकर पहुंच गए शमशान और कब्रिस्तान। ये हाल हुआ झांसी में गत तीन माह में दुर्घटना, ट्रेन से कटकर, पानी में डूबने, बीमारी या किसी अन्य कारणों से जान गंवाने वाले चालीस अज्ञात लोगों का। जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी।

न मरने वाले का पता चला न मारने वाले, पुलिस ढूंढ रही पहचान कराने वाले
गुमनाम लाशों को लेकर पुलिस संवेदनहीन बनी हुई है। इस साल के तीन माह के भीतर महिलाओं समेत चालीस अज्ञात शव मिल चुके हैं। इनमें एक महिला की हत्या की पुष्टि हुई है। पुलिस कातिलों को पकड़ना तो दूर शव की पहचान तक नहीं करा सकी। अलबत्ता, जीडी में हर महीने कम से कम एक पर्चा काटकर विवेचक शव की शिनाख्त कराने में खुद के गंभीर होने का कागजी परिचय देता है। अज्ञात शवों को लेकर जिले की पुलिस का संवेदनहीन रवैया सामने आया। जिन शवों की पहचान हो जाती है, उनके घरवालों से तहरीर लेकर पुलिस घटना का खुलासा कर देती है। लेकिन जिन लोगों की पहचान तक नहीं हो पाती उनकी शिनाख्त कराने व कातिल की गिरफ्तारी के लिए सिर्फ कागजी औपचारिकता निभाई जाती है।

इन थानों क्षेत्र में मिली है लाशें
झांसी में 50 अज्ञात शव पड़े मिले हैं। इनमें नवाबाद थाना क्षेत्र में 12, सीपरी बाजार में नौ, जीआरपी थाना क्षेत्र में नौ, प्रेमनगर थाना क्षेत्र में तीन, बड़ागांव, मोंठ, चिरगांव, कोतवाली, सदर बाजार, बरुआसागर, बबीना थाना क्षेत्र में शामिल है। बताते हैं कि सात जनवरी 2025 से अज्ञात शव मिलने की शुरुआत नवाबाद थाना क्षेत्र से हुई थी। यह सिलसिला जारी है। मार्च माह में जीआरपी थाना क्षेत्र में ट्रेन से कटकर अज्ञात युवक की मौत हुई थी। यह घटना 28 मार्च 2025 की है।

अंतिम संस्कार पड़ता है पुलिस की जेब पर भारी
पुलिस का कहना है कि अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करना पुलिस की जेब पर भारी पड़ता है। सरकार की ओर से अज्ञात शवों के क्रियाकर्म के लिए कोई बजट निर्धारित नहीं किया गया है। पुलिसकर्मियों को नगर निगम, परिषद या फिर पालिका के सहयोग व अपनी जेब से खर्च वहन करना पड़ता है। लड़कियों की व्यवस्था तो नगर निगम या परिषद से करवा ली जाती है, लेकिन अन्य खर्च पुलिसकर्मियों को ही उठाना पड़ता है।

अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती पुलिस
पुलिस इन लोगों में से ज्यादातर की मौत का वास्तविक कारण जानने का प्रयास भी नहीं करती। यही कारण है कि पुलिस अमूमन अज्ञात शवों की विसरा रिपोर्ट नहीं मंगवाती। विसरा रिपोर्ट किसी की मौत का असल कारण जानने के लिए होती है। पुलिस पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर की ओर से बताए गए मौत के प्राथमिक कारण को ही सही मानते हुए मामला दर्ज कर लेती है और फिर बाद में न्यायालय के जरिए अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दे देती है।

एसआर केस में हर महीने देनी होती है रिपोर्ट
पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक, लाश की शिनाख्त हो या नहीं, लेकिन अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आती है तो उसे एसआर केस में दर्ज करना होता है। विवेचक को महीने में कम से कम एक या दो पर्चे काटकर यह बताना होता है कि उसने शिनाख्त कराने या कातिल को पकड़ने की दिशा में क्या कदम उठाया। इसके बाद भी जिले में सारी कार्रवाई कागजी औपचारिकता के बीच सिमटी नजर आ रही है।

यह है शव की पहचान कराने का नियम
अज्ञात शव मिलने के बाद कम से कम दो सौ किलोमीटर के दायरे वाले थाने में पुलिस भेजकर मैनुअल तरीके से पहचान करानी होती है। खासकर दूसरे थानों में अगर मृतक की उम्र व हुलिए वाले व्यक्ति की गुमशुदगी लिखी होती है तो उसके वादी से पहचान कराई जानी चाहिए। डीसीआरबी व एनसीआरबी में भी सूचना अपलोड करनी होती है। सोशल, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया के जरिए प्रचार-प्रसार कराना होता है। सूत्रों की मानें तो इसके लिए शासन से बजट भी मिलता लेकिन वह विवेचक को नहीं मिल पाता। जिससे कोई विवेचक ऐसे मामलों के खुलासे में दिलचस्पी नहीं दिखाता।

क्या कहते है अधिकारी
इस मामले में पुलिस अधीक्षक नगर ज्ञानेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि शिनाख्त कराने के लिए सोशल, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया का सहारा लिया जाता है। इसके अलावा डीसीआरबी व अन्य माध्यमों से पहचान कराने का प्रयास किया जाता है। जल्द शिनाख्त कराने के निर्देश दिए गए हैं।

झांसी : पहले कहा बच्चे को डांट देना और डांट दिया तो दर्जन भर टूट पड़े

दुकानदार को जमकर पीटा , शिकायत पुलिस से
झांसी। बच्चे को डांटने पर उसके परिजनों ने दुकानदार के परिवार को जमकर पीट दिया। सुबह परिजनाें ने बच्चे को उधार सामान देने से मना कर दिया। शाम को दुकानदार ने बच्चे को सामान नहीं दिया और डांटकर भगा दिया। बच्चा रोते हुए घर पहुंचा तो परिजन भड़क गए और आकर दुकानदार व् उसके परिवार वालों के साथ जमर मारपीट कर दी मौके पर पहुंची पुलिस ने शांत कराया। दोनों पक्षों ने पुलिस को शिकायती पत्र दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है।
विवरण के मुताविक देवलाल चौबे अखाड़ा मोहल्ला निवासी सुधीर कुशवाहा की मोहल्ले में किराना की दुकान है। रजनी कुशवाहा ने बताया कि एक परिवार की दुकान पर उधारी चलती है। शनिवार सुबह परिजन दुकान पर आए और बोले गए कि बच्चे दुकान पर आए तो कोई चीज उधार मत देना। थोड़ा डांट दिया करो। शाम को बच्चा दुकान पर आया तो ससुर ने बच्चे को डांट दिया। एक छोटा-सा डंडा था, जिसे धीरे से बच्चे को मार दिया। बच्चा रोते हुए घर पहुंच गया। इस पर 5 से 6 लोग आए और गाली गलौच करते हुए मारपीट करने लगे। महिलाए बचाने गई तो मारपीट की। मारपीट का एक वीडिया सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें कुछ लोग मारपीट करते हुए नजर आ रहे हैं। मारपीट की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई और मामला शांत कराया। दोनों पक्षों ने पुलिस को शिकायत दी है। अब पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।

झांसी : बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा अध्यक्ष पर मुकदमा दर्ज

प्रधानमंत्री; गृहमंत्री और रक्षामंत्री का फूंका था पुतला
झांसी। बुंदेलखंड को राज्य बनाने की मांग कर रहे बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। उन्होंने बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पुतला जलाया था। उन्होंने इसे सांसदों की मर्जी भी बताया था। साथ ही कहा था कि पीएम ने राज्य निर्माण का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ।
मालुम हो कि बीते बुधवार को बुंदेलखंड राज्य निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की तस्वीर छपा पोस्टर पुतले पर चस्पा कर कचहरी चौराहा पहुंचे थे। यहां उन्होंने तीनों नेताओं का पुतला जलाते हुए बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए नारेबाजी भी की थी। हालांकि इस प्रदर्शन की पुलिस को भनक तक नहीं लगी। वहीं, भानु सहाय ने इस प्रदर्शन को बुंदेलखंड की नौ लोकसभा के सांसदों का अप्रत्यक्ष समर्थन करार दिया था। उनका कहना था कि उन्होंने सांसदों के पुतले दहन कर ये ऐलान किया था कि यदि सांसद प्रधानमंत्री को बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए पत्र नहीं लिखते तो ये माना जाएगा कि वह उनका पुतला दहन करने के पक्ष में हैं। पत्र लिखने के लिए भानु सहाय ने उन्हें 15 दिन का समय भी दिया था। लेकिन सांसदों ने पत्र नहीं लिखा।

हर संसद सत्र में जलाएंगे पुतला
पीएम, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री से पहले भानु सहाय ने बुंदेलखंड के 9 सांसदों का भी पुतला फूंका है। उनका कहना था कि ये सांसद पीएम को उनका वादा याद दिलाने के लिए पत्राचार नहीं कर रहे। पीएम का पुतला फूंकने के दौरान ही भानु सहाय ने एलान कर दिया था कि वह संसद के हर सत्र की शुरूआत में पीएम समेत तीनों नेताओं के पुतले जलाएंगे। इसी के बाद पुलिस ने उन पर मुकदमा दर्ज किया है। इसको लेकर पुलिस का कहना है कि भानु सहाय ने पुतला जलाने के साथ ही सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की है।

राजस्थान की बेहतरीन बॉलिंग ने थमाई पंजाब को पहली हार

50 रन से जीते रॉयल्स, यशस्वी की फिफ्टी; आर्चर को 3 विकेट
लखनऊ डेस्क। राजस्थान रॉयल्स ने बेहतरीन बॉलिंग के दम पर पंजाब किंग्स को पहली हार का स्वाद चखा दिया। मुल्लांपुर के महाराजा यादवेंद्र सिंह स्टेडियम में राजस्थान ने 4 विकेट खोकर 205 रन बनाए। जवाब में पंजाब की टीम 9 विकेट खोकर 155 रन ही बना सकी। 206 रन का टारगेट डिफेंड करने उतरी राजस्थान को पहले ही ओवर में जोफ्रा आर्चर ने 2 विकेट दिला दिए। उन्होंने प्रियांश आर्या को पहली बॉल और कप्तान श्रेयस अय्यर को छठी गेंद पर बोल्ड किया। उनकी बॉलिंग ने पंजाब किंग्स को बैकफुट पर धकेल दिया। आर्चर ने आखिर में अर्शदीप सिंह को भी पवेलियन भेजा।
संदीप शर्मा: पावरप्ले में बॉलिंग करने उतरे संदीप ने पहले ही ओवर में मार्कस स्टोयनिस को पवेलियन भेजा। उन्होंने फिर आखिर में सूर्यांश शेडगे का विकेट भी लिया।
महीश तीक्षणा: मिडिल ओवर्स में मिस्ट्री स्पिनर तीक्षणा ने पंजाब के बैटर्स पर लगाम लगाई। उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल और मार्को यानसन को पवेलियन भी भेजा।
रियान पराग: नंबर-3 पर उतरे पराग ने आखिर तक बैटिंग की और टीम को 200 के पार पहुंचाया। उन्होंने 25 गेंद पर 3 चौके और 3 छक्के लगाकर 43 रन बनाए।
यशस्वी जायसवाल: टॉस हारकर पहले बैटिंग करने उतरी राजस्थान को यशस्वी ने मजबूत शुरुआत दिलाई। उन्होंने सीजन में अपनी पहली फिफ्टी लगाई। वे 3 चौके और 5 छक्के लगाकर 67 रन बनाकर आउट हुए। पंजाब से नेहल वाधेरा ने 62 रन की पारी खेली। उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल के साथ पांचवें विकेट के लिए 88 रन की पार्टनरशिप भी की। जब तक वाधेरा पिच पर थे, पंजाब जीत के करीब नजर आ रही थी। वाधेरा के आउट होते ही टीम बिखर गई और टारगेट हासिल नहीं कर सकी। 206 रन के टारगेट का पीछा करने उतरी पंजाब ने 43 रन पर शुरुआती 4 विकेट गंवा दिए। टीम मिडिल ओवर्स में संभल ही पाई थी कि 131 से 151 रन बनाने में टीम ने 5 और विकेट गंवा दिए। लगातार विकेट गंवाना ही पंजाब की हार का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। पहले बैटिंग करने उतरी रॉयल्स को यशस्वी और कप्तान संजू सैमसन ने मजबूत शुरुआत दिलाई। दोनों ने मिलकर 89 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप की। सैमसन 38 रन बनाकर आउट हुए। उनके बाद रियान पराग ने 43 और यशस्वी जायसवाल ने 67 रन बनाकर टीम को 205 रन तक पहुंचाया। बड़े टारगेट के सामने पंजाब की शुरुआत बेहद खराब रही। टीम ने पहले ओवर में 2 विकेट गंवा दिए। 43 रन तक पहुंचने में टीम के 2 और विकेट गिर गए। नेहल वाधेरा और ग्लेन मैक्सवेल ने पारी संभालने की कोशिश की, लेकिन दोनों के आउट होते ही टीम रन चेज में बिखर गई। राजस्थान से महीश तीक्षणा और ​​​​​​संदीप शर्मा ने 2-2 विकेट लिए।

हमारा उत्तर प्रदेश : क्या आप जानते है ?

अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या सामान्य जानकारी के उद्देश्य से भी आपको पता होना चाहिए की उत्तर प्रदेश में कितने जिले हैं और उत्तर प्रदेश के जिले के नाम क्या हैं। उनकी विशेषता क्या है , उनके प्रशासनिक महत्व, जिलों के विकास कार्य और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।

उत्तर प्रदेश का परिचय :-

उत्तर प्रदेश का गठन 26 जनवरी, 1950 को किया गया था। इससे पहले इसे संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था। इतिहास उठाकर देखें, तो पूर्व में इसे कौशल और पांचाल साम्राज्य से जाना जाता था। बाद में यहां शर्की पहुंचे और उन्होंने यहां जौनपुर बसाया। बाद में यहां मुगल पहुंचे, तो उन्होंने जौनपुर के पास अवध सूबा बसाया। ब्रिटिश पहुंचे, तो उन्होंने यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया। कुछ समय बाद इसे अवध सूबे में मिला दिया गया और यह संयुक्त प्रांत बना। देश आजाद हुआ और प्रदेश का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश में कुल जिले 75 हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। ये 18 मंडल कुल चार संभागों में आते हैं, जो कि पश्चीमी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल, मध्य उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड है। इन चार संभागों में कुल 351 तहसीलों के साथ-साथ 826 सामुदायिक विकास खंड, 200 नगर पालिका परिषद्, 75 नगर पंचायत, 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायत और एक लाख से अधिक गांव मौजूद हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं जिन्हे 18 मुख्यालयों में बांटा गया है। उत्तर प्रदेश के जिले के नाम कुछ इस प्रकार हैं।  आगरा  , अलीगढ़ ,  प्रयागराज ,अम्बेडकर नगर ,अमरोहा , औरैया ,आजमगढ़, बदायूं, बहराइच, बलरामपुर, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, हापुड़, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज कौशाम्बी,        शीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर,               लखनऊ, महाराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, शाहजहांपुर, शामली, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उन्नाव, वाराणसी है।

राज्य का कुल क्षेत्रफल और जनसंख्या

उत्तर प्रदेश राज्य का क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर (लगभग) है। यह पूरे भारत के क्षेत्रफल का करीब 7.329% है। क्षेत्रफल के मामले में राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। वर्तमान (2025) में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 24.41 करोड़ (अनुमानित) है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को लेकर वर्तमान में जनगणना का सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है। उत्तर प्रदेश के जिले में जनगणना आखरी बार 2011 में की गई थी। उत्तर प्रदेश में अगली जनगणना 2021 में कि जानी थी जो कि 2025 तक के लिए स्थगित कर दि गई है। 2011 के जनगणना डेटा के मुताबिक उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य है। जो की भारत के कुल जनसंख्या का 16.51% (लगभग) है।

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी है, जो 7,680 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में सबसे बड़े जिलों में से एक है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, लखीमपुर खीरी अपने कृषि महत्व के लिए प्रसिद्ध है और राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस जिले की जनसंख्या लगभग 3,200,137 है, जो इसके आकार और जनसंख्या दोनों के संदर्भ में इसकी प्रमुखता को दर्शाती है।

उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला

उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो 660 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह राज्य का सबसे छोटा जिला होने का गौरव रखता है। अपने छोटे आकार के बावजूद, हापुड़ की जनसंख्या लगभग 1,338,211 है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित, हापुड़ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का एक गतिशील मिश्रण प्रस्तुत करता है।

उत्तर-प्रदेश का राजनीतिक महत्व 

लोकसभा में सबसे अधिक सीटें : उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं, जो किसी भी अन्य राज्य से अधिक है। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर प्रदेश की आवाज बहुत मजबूत है।

प्रमुख राजनीतिक दलों का गढ़ : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का गढ़ रहा है, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ,लोक जनशक्ति पार्टी , लोकदल , जनता दल आदि।

प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्मस्थान : उत्तर प्रदेश कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं का जन्म स्थान रहा है, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, और योगी आदित्यनाथ जैसे महान नेता शामिल हैं।

राष्ट्रीय चुनावों में निर्णायक भूमिका : उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम अक्सर राष्ट्रीय चुनावों को प्रभावित करते हैं।

उत्तर प्रदेश का धार्मिक महत्व : उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

हिंदू धर्म का केंद्र : उत्तर प्रदेश को “भगवान राम की भूमि” के रूप में जाना जाता है और यह हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।

प्रमुख तीर्थस्थल : उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं, जिनमें वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा, और काशी शामिल हैं।

विभिन्न धर्मों का संगम : उत्तर प्रदेश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई सहित विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं।

सांस्कृतिक विविधता : उत्तर प्रदेश की संस्कृति और विरासत को पूरे भारत में जाना जाता है, सीखा जाता है और समझा जाता है, जिसमें कला, संगीत, साहित्य, और त्योहार शामिल हैं।

उत्तर-प्रदेश की भाषा, बोली, खानपान और पहनावा कैसा है?

भाषा और बोली:

हिंदी: उत्तर प्रदेश की आधिकारिक भाषा हिंदी है, जो पूरे राज्य में बोली और समझी जाती है।

अन्य भाषाएं : अवधी, ब्रजभाषा, बुंदेली, खड़ी बोली, और उर्दू भी यहाँ बोली जाती हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश : पूर्वी उत्तर प्रदेश में अवधी, भोजपुरी, और बाग़ेली बोली जाती हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्रजभाषा, हरियाणवी, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।

केंद्रीय उत्तर प्रदेश : केंद्रीय उत्तर प्रदेश में अवधी, बुंदेली, और खड़ी बोली बोली जाती हैं।

खानपान :

विविधता : उत्तर प्रदेश में खानपान में विविधता देखने को मिलती है।

लोकप्रिय व्यंजन: कबाब, बिरयानी, चाट, समोसे, पराठे, दाल-बाटी-चूरमा, लस्सी, रबड़ी, और पेठा यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजन हैं।

क्षेत्रीय भिन्नता : पूर्वी उत्तर प्रदेश में चावल और मछली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं और दाल, और केंद्रीय उत्तर प्रदेश में मिश्रित खानपान का प्रचलन है।

पहनावा :

पुरुष : पुरुषों के लिए, धोती-कुर्ता, लूंगी, शेरवानी, और पगड़ी यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।

महिलाएं : महिलाओं के लिए, साड़ी, सलवार-कमीज, लहंगा-चोली, और घाघरा-चोली यहाँ के पारंपरिक परिधान हैं।

धार्मिक परिधान : कुछ लोग धार्मिक पहनावा भी पहनते हैं, जैसे कि मुस्लिमों द्वारा पहना जाने वाला बुर्का या हिंदुओं द्वारा पहना जाने वाला कुर्ता-पायजामा।

भौगोलिक आधार पर उत्तर-प्रदेश

उत्तर प्रदेश का भूगोल 4 भागों में बटा हुआ हैं जिसे पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड से जाना जाता है। हर भाग की अपनी एक विशेषता है, इसे विस्तार से समझते हैं :

उत्तर-प्रदेश के पूर्वांचल की विशेषता

शिक्षा : यहाँ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थान हैं।

पर्यटन : वाराणसी, सारनाथ और कुशीनगर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल यहाँ हैं, जो उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।

संस्कृति : पूर्वांचल की संस्कृति विविध और समृद्ध है, यहाँ लोग होली, दिवाली और छठ जैसे त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं।

भाषा : भोजपुरी, अवधी और हिंदी प्रमुख भाषाएँ हैं।

उत्तर-प्रदेश के पश्चिमांचल की विशेषता

क्षेत्र : पहाड़ी क्षेत्रों (हिमालय), पठारों (आगरा का पठार), और मैदानी भागों (दिल्ली का मैदान) का मिश्रण।

नदियां : यमुना, चंबल, केन जैसी प्रमुख नदियां।

मिट्टी : बलुई, चिकनी मिट्टी, और लाल मिट्टी।

जलवायु : गर्मियों में गर्म और शुष्क, सर्दियों में ठंडी।

कई विश्वविद्यालय और संस्थान : IIT Kanpur, IIT Roorkee, AMU Aligarh, BHU Varanasi, Lucknow University प्रसिद्ध हैं।

कृषि : गेहूं, चना, मूंगफली, तिलहन, बागवानी, और डेयरी मुख्य गतिविधियां हैं।

उद्योग : लौह और इस्पात, भारी इंजीनियरिंग, रसायन, खनन, और खनिजों का उत्पादन प्रमुख उद्योग हैं।

पर्यटन : ताजमहल, आगरा का किला, मथुरा, वृंदावन, और फतेहपुर सीकरी जैसे पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश का इतिहास और उत्तर प्रदेश की संस्कृति का प्रतीक हैं।

भाषा : ब्रजभाषा, अवधी, और बुंदेली भाषाओं का प्रभाव।

मध्यांचल और बुंदेलखंड की विशेषता

क्षेत्र : समतल मैदान, जलोढ़ मिट्टी, और घनी आबादी।

प्रमुख नदियां : गंगा, यमुना और घाघरा।

कृषि : धान, गेहूं, मक्का, और दलहन जैसी फसलों की खेती तथा गन्ना, आलू, और मशरूम जैसी नकदी फसलों का उत्पादन।

उद्योग : कपड़ा, चीनी, और कृषि-आधारित उद्योगों का केंद्र।

बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित एक पठारी क्षेत्र है, इसकी विशेषताएं हैं:

क्षेत्र : पहाड़ी और पठारी क्षेत्र।

प्रमुख नदियां : केन, बेतवा, चंबल।

कृषि : बाजरा, ज्वार, और मूंगफली जैसी फसलों की खेती।

उद्योग : खनन और खनिजों का उत्पादन।

भाषा : बुंदेली भाषा और संस्कृति का प्रभाव।

प्रमुख जिले और उनकी विशेषताएं

लखनऊ: राज्य की राजधानी

नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रुमी दरवाजा जैसे ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अवधी व्यंजन जैसे कबाब, बिरयानी, गुलाब जामुन यहाँ के खानपान की शान हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा संस्थान इसे ज्ञान का केंद्र बनाते है। छठ पूजा, ईद, होली जैसे त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं।

वाराणसी: धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर

उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक वाराणसी, हिंदू धर्म के लोग वाराणसी को काफी महत्वपूर्ण मानते है, गंगा नदी के किनारे बसा शहर यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर सहित प्राचीन मंदिरों और घाटों का समागम है।

आगरा: ताजमहल की नगरी

उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिले में से एक आगरा, उत्तर प्रदेश में स्थित एक खूबसूरत शहर है। यह दुनिया भर में विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा अपनी मुगल वास्तुकला, हस्तशिल्प, और मुगलई खाने के लिए भी प्रसिद्ध है।

अन्य प्रमुख जिले: कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, गोरखपुर

कानपुर: औद्योगिक शहर, चमड़े और कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध।

मेरठ: ऐतिहासिक शहर, 1857 के विद्रोह का केंद्र।

इलाहाबाद: तीर्थस्थल, गंगा, यमुना, और सरस्वती नदी का संगम।

गोरखपुर: धार्मिक शहर, गोरखनाथ मठ का घर।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

यूपी के 75 जिले के नाम क्या है?

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के नाम इस प्रकार हैं: आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, अमेठी, औरैया, आजमगढ़, बागपत, बहराइच, बाराबंकी, बलिया, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, हरदोई, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, अमरोहा, कासगंज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हापुड़, हमीरपुर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, कुशीनगर, कौशांबी, महोबा, मैनपुरी, महाराजगंज, मथुरा, मऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रामपुर, रायबरेली, सहारनपुर, संभल, संत रविदास नगर, संत कबीर नगर, शाहजहांपुर, शामली, सीतापुर, श्रावस्ती, सोनभद्र, उन्नाव, वाराणसी, सुल्तानपुर, बांदा, मिर्जापुर, सिद्धार्थनगर, और बलरामपुर है।

UP में कौन सी जाति ज्यादा है?

उत्तर प्रदेश (UP) में सबसे बड़ी जाति यादव जाति मानी जाती है, जो राज्य की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक शक्ति है। इसके अलावा, राज्य में कई अन्य प्रमुख जातियाँ भी हैं, जिनमें जाटव, ब्राह्मण, राजपूत, , गुर्जर, दक्षिणी पिछड़ी जातियाँ (जैसे कुर्मी, कश्यप,) और नोनिया (अल्पसंख्यक) शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की जाति संरचना बहुत विविध है और इसमें कई सामाजिक और सांस्कृतिक समूह शामिल हैं, जो राज्य की राजनीति, सामाजिक समीकरण और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर डालते हैं।

 

बिहार की 2021 बैच की IAS निशा को मिला UP कैडर 

लखनऊ। केंद्र सरकार ने मैरिज ग्राउंड पर बिहार कैडर की 2021 बैच की IAS निशा सिंह को उत्तर प्रदेश कैडर एलाट किया है। IAS निशा सिंह के पति हिमांशु बाबल उत्तर प्रदेश में IFS अफसर है। UP की ब्यूरोक्रेसी में 6 महीने के अंदर आधा दर्जन IAS महिलाएं शादी कर उत्तर प्रदेश आई हैं।

जौनपुर : मछली शहर विधायक रागिनी सोनकर की पहल रंग लाई

बीएचयू में पीएचडी प्रवेश के द्वितीय चरण को मिली हरी झंडी
डॉ रागिनी छात्र के समर्थन में खुद धरने पर बैठी, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
केंद्रीय शिक्षा मंत्री और यूजीसी चेयरमैन से मुलाकात कर अवगत कराया
जौनपुर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने द्वितीय चरण की प्रवेश प्रक्रिया आरंभ करने की घोषणा की है। पहले चरण के उपरांत बची हुई रिक्त सीटों को भरने हेतु विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से आग्रह किया था, जिसे अब स्वीकृति प्राप्त हो गई है। दलित छात्रा शिवम सुनकर के धरने पर बैठने और पूरे आंदोलन को मछली शहर विधायक डॉक्टर रागिनी सोनकर द्वारा राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री केंद्रीय शिक्षा मंत्री और यूजीसी के अध्यक्ष से मुलाकात करने पर मामले ने तूल पकड़ा। इसके बाद यूजीसी से अनुमति शनिवार को दे दी गई। अनुमति मिलने के बाद अब RET मुक्त श्रेणी की रिक्त सीटों को RET श्रेणी में हस्तांतरित किया जाएगा, जिससे प्रतीक्षा सूची में शामिल योग्य अभ्यर्थियों को प्रवेश का अवसर मिल सकेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि उनका प्रयास है कि कोई भी सीट रिक्त न रह जाए और योग्य शोधार्थियों को विश्वविद्यालय में अध्ययन एवं शोध का अवसर प्राप्त हो।
इस निर्णय के पीछे जौनपुर की मछलीशहर विधानसभा से विधायक डॉ. रागिनी सोनकर की सक्रिय भूमिका रही। उन्होंने बीएचयू में दलित छात्र के धरने पर बैठे होने की जानकारी होने पर सबसे पहले उप्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस विषय पर ध्यान आकर्षित किया, तत्पश्चात दो बार धरना स्थल पर पहुँचकर छात्र की मांगों का समर्थन किया। साथ ही कैंडल मार्च भी किया। बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति और कुलसचिव के साथ मिलकर उन्होंने समस्या के समाधान करने की अपील की।। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समाधान न करने पर दिल्ली पहुंचकर उन्होंने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा और स्वयं उसे राष्ट्रपति भवन में जाकर रिसीव कराया। इसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार के साथ मुलाकात कर पूरी समस्या से अवगत कराया। साथ ही कहा कि शिक्षण संस्थानों में इस तरह का जातिगत भेदभाव गलत है जो की सामाजिक और प्राकृतिक न्याय दोनों के खिलाफ है। उच्च संस्थान बाबा भीमराव अंबेडकर के संविधान और दलितों को उच्च शिक्षा से रोकने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। इस तरह के कृत्य हमें गुजरे 100 साल पीछे हमारे पूर्वजों की याद दिला रही है कि वह कैसे रहे होंगे? इसके दूसरे दिन बाद वह केंद्रीय उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर दलित छात्रों के साथ हो रहे अन्याय की शिकायत की। कहा कि जब पढ़ाई का यह हाल है तो दलितों के साथ उच्च शिक्षा में नौकरी का क्या हाल होगा? यह राइट टू एजुकेशन का उल्लंघन है। उच्च शिक्षण संस्थान आज भी विषय और विभागवार रोस्टर बनाकर आरक्षण का उल्लंघन कर रहे हैं। 13 प्वाइंट रोस्टर को लेकर पूरे देश में कई महीने आंदोलन चला था। दलित सांसद और नेताओं की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में 13 पॉइंट रोस्टर लागू करने पर रोक लगा दी थी। लेकिन उच्च शिक्षा संस्थानों में दलितों को शिक्षा और नौकरी से रोकने के लिए इस तरह की कोशिशें की जा रही है जिसका हम लोग पुरजोर विरोध करेंगे। रागिनी सोनकर का कहना है कि पूरे विश्वविद्यालय या संकाय को एक यूनिट मानकर रोस्टर बनाना चाहिए तभी सबको आरक्षण का लाभ मिल सकता है। डॉ. रागिनी सोनकर की इस पहल से विश्वविद्यालय के न केवल दर्जनों शोधार्थियों को नया अवसर मिला है, बल्कि विश्वविद्यालय के पठन-पाठन और शोध के माहौल को भी मजबूती मिलेगी। विद्यार्थियों एवं शैक्षिक जगत में इस निर्णय का स्वागत किया जा रहा है।

झांसी : सखी के हनुमान मंदिर में भजनों की प्रस्तुति ने दर्शको का मन मोहा

झांसी। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश एवं जिला प्रशासन झांसी के तत्वाधान में अष्टमी एवं रामनवमी के असर पर बुन्देली सांस्कृतिक भजनों की प्रस्तुति अंतर्राष्ट्रीय नीरज एण्ड पार्टी झांसी द्वारा सखी के हनुमान मंदिर झांसी पर संपन्न हुई मंदिर के पुजारी द्वारा कलाकारों को तिलक चंदन लगाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया कार्यक्रम में हरविन्द कुमार नीरज मुख्य गायक एवं गायिका रीना जी, मदन भारती, सुरेंद्र कुशवाहा, कमलेश वर्मा आदि ने भजनों की सुंदर प्रस्तुति देकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया नीरज द्वारा गीत ये दुनियां चले ना श्री राम के बिना राम जी चले ना हनुमान के बिना लोगों ने खुब पसंद किया बही रीना जी द्वारा अंम्बे मां शेरोवाली भरदो मां झोली खाली माता बहनों ने खूब नृत्य किया कार्यक्रम का संचालन सखी के हनुमान मंदिर के पुजारी जी द्वारा किया गया।

झांसी : सरकारी भूमि चक रोड पर कब्जे की शिकायत का मौके पर जाकर करें निस्तारण-जिलाधिकारी

डीएम की अध्यक्षता में आयोजित हुआ संपूर्ण समाधान दिवस
झांसी। तहसील सदर सभागार में संपूर्ण समाधान दिवस की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने सरकारी और निजी भूमि पर अवैध कब्जा संबंधित शिकायतों के निस्तारण पर पुलिस विभाग और राजस्व विभाग को टीम बनाते हुए मौके पर जाकर कार्य करने के निर्देश दिए ताकि विवादों का सख्ती से निस्तारण किया जा सके। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि संपूर्ण समाधान दिवस जनसुनवाई मुख्यमंत्री जी की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है, जिसके तहत मुख्यमंत्री हेल्पलाइनध्आईजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण व समय अंतर्गत निस्तारण किए जाने हेतु समय समय पर शासन स्तर से उच्च अधिकारियों द्वारा निर्देशित करते हुए निस्तारण की क्रास चेकिंग भी की जाती है। सम्पूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर प्रार्थीया रेखा कुशवाहा पत्नी प्यारेलाल कुशवाहा निवासी घसायपुरा बरुआसागर जिला ने शिकायती पत्र देते हुए बताया की मौजा फुटेरा के गाटा सं0 3555 रकवा 1 डिसमिल 0.0040 है० है, जो राजस्व मे दर्ज है। जिसकी मालिक काबिज है, प्रार्थीया की उक्त भूमि पर कालीचरन पुत्र धनीराम प्रजापति निवासी कटरा प्रार्थीया के उपरोक्त भूमि पर जबरन कब्जा करते हुये अपना मकान निर्माण कर रहे है। प्रार्थीया ने मौके पर जाकर देखा तो विपक्षी को रोका तो निर्माण कार्य करने से नही माने एवं धमकी दी कि तुम्हे जो करना हो कर लो हम तुम्हारी जमीन पर मकान बनाकर रहेगे उक्त सम्बन्ध में प्रार्थीया ने थाना बरुआसागर में शिकायत की तो विपक्षी के खिलॉफ कोई कार्यवाही नही की गयी जिलाधिकारी ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम सदर को मौके पर जाकर शिकायत का परीक्षण करते हुए आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। सम्पूर्ण समाधान दिवस झाँसी में जितेन्द्र सिंह पुत्र कमल सिंह निवासी सिजवाहा ने शिकायती पत्र देते हुए कहा कि ग्राम सिजवाहा ब्लॉक बबीना में ललितपुर वाईपास व 27 झांसी शिवपुरी क्रांसिंग प्वांइट ग्राम सिजवाहा में स्थित है जिसमें 44 की चैड़ाई पर अवैध कब्जा हो जाने के कारण आए दिन जाम की स्थिती व दुर्घटना होती है जिलाधिकारी ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल राजस्व और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम को मौके पर जाकर पैमाइश करते हुए रोड को कब्जा मुक्त कराए जाने की कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्रीमती सुधा सिंह, सीएमओ डॉ सुधाकर पांडेय, उप जिलाधिकारी सदर श्रीमती देवयानी, एएसपी शिवम आशुतोष, क्षेत्राधिकारी पुलिस श्रीमती स्नेहा तिवारी, तहसीलदार सहित समस्त विभागों के जिलास्तरीय अधिकारी, थाना अध्यक्ष उपस्थित रहे।

वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग : निचले स्तर पर मामलों को लंबित रखने वाले कर्मियों की जिम्मेदारी करें नियत – मनोज कुमार सिंह

जीरो पावर्टी अभियान की लॉचिंग इसी माह प्रस्तावित
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती प्रक्रिया को 12 अप्रैल तक करें पूरा
झांसी। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जीरो पावर्टी अभियान का मुख्यमंत्री जी द्वारा लखनऊ में इसी माह बड़े स्तर पर लांच किया जाना प्रस्तावित है। लॉचिंग में अलग-अलग जनपदों के 25 से 30 हजार लाभार्थियों को पीएम आवास, सीएम आवास, राशन कार्ड, आयुष्मान भारत सहित अन्य योजनाओं के लाभ वितरित किए जायेंगे।
उन्होंने कहा कि अभियान के तहत 10 लाख 46 हजार ऐसे परिवारों को चिह्नित किया गया थी, जिनके पास घर नहीं है या पक्का घर नहीं है। इसमें से 9 लाख 73 हजार परिवारों को बीडीओ द्वारा प्रमाणित (वैलिडेट) किया गया है, यह एक अच्छी प्रगति है। उन्होंने कहा कि सभी सीडीओ का प्रयास होना चाहिये, चिन्हित सभी पात्र परिवारों को पीएम आवास योजना का लाभ मिल जाये। अभियान के तहत चिन्हित परिवारों की सवा लाख रुपये की सालाना आमदनी सुनिश्चित कराना है। इसमें कौशल विकास मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसके लिए चिन्हित परिवारों की विभिन्न योजनाओं के तहत स्किलिंग और अपस्किलिंग के लिये योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के लिए निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि सीएम युवा योजना के तहत प्राप्त आवेदनों की सभी सीडीओ द्वारा नियमित मॉनीटरिंग कर ज्यादा से ज्यादा आवेदनों को स्वीकृत और डिसबर्स कराने का प्रयास किया जाये। बैंकर्स कमेटी की नियमित बैठक कर अधिक से अधिक आवेदनों के निस्तारण पर बल दिया जाये। जिन बैंकों में सर्वाधिक एप्लीकेशन पेंडिंग हैं, उन बैंकों का संबंधित जिलाधिकारी एवं सीडीओ द्वारा निरीक्षण किया जाये। रेट के पुनरीक्षण में आसपास के गांव का सर्किल रेट लगभग समान होना चाहिये। इस बात का ध्यान रखा जाये कि कहीं भी असामान्य तरीके से सर्किल रेट की बढ़ोत्तरी न हो। रेट रिवीजन की आवश्यकता न होने पर उसी सर्किल रेट को लागू किया जा सकता है। रेट रिवीजन के समय सीमावर्ती जनपदों से लगे गांव के सर्किल रेट को भी ध्यान में रखा जाये। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती प्रक्रिया को 12 अप्रैल तक पूरा करने के भी निर्देश दिये।
बैठक में प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास श्रीमती लीना जौहरी, प्रमुख सचिव व्यावसायिक शिक्षा डॉ. हरिओम, प्रमुख सचिव श्रम डॉ. शंमुगा सुंदरम, सचिव एमएसएमई प्रांजल यादव, प्रमुख सचिव स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन अमित गुप्ता सहित एनआईसी झांसी में मण्डलायुक्त बिमल कुमार दुबे, जिलाधिकारी अविनाश कुमार, सीडीओ जुनैद अहमद एंव अन्य विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।